वाराणसी। ‘‘बहन आप खाना नहीं छोड़ें। मैं आपके पति को छुड़वाने में कोई कसर नहीं छोड़ूंगी। मुझे सूचित करते हुए अत्यंत खुशी है कि संतोष कुमार भारद्वाज नाइजीरिया में समुद्री डाकुओं से छूट गए हैं।’’ पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के निधन से गम डूबीं वाराणसी के मंडुवाडीह इलाके की कंचन उन्हें याद करती हैं। अपने पति संतोष भारद्वाज को समुद्री डाकुओं के चंगुल से छुड़ाने के लिए किये गए उनके प्रयासों को याद करते हुए भारद्वाज द्वारा ट्वीटर पर बार-बार भेजे गए संदेशों को दोहराती हुई भावुक हो गई । वह कहती हैं, ‘‘मेरे सिर से मेरी बड़ी बहन का साया उठ गया। उनकी वजह से ही मेरे पति समुद्री डाकुओं के कब्जे से छूट पाये थे। वह प्रयास नहीं करतीं तो न जाने मेरा क्या होता।’’
वर्ष 2016 की 25 मार्च को सिंगापुर की एक प्राइवेट कंपनी के जहाज पर तैनात इंजीनियर भारद्वाज समेत पांच लोगों को इंजीरिया में अगवा कर लिया गया था। तब तक हार कर कंचन ने तत्कालीन विदेश मंत्री से स्वराज से ट्वीटर पर मदद की गुहार लगायी थी। जवाब में उन्होंने चार अप्रैल को ट्वीटर पर कंचन को मदद का भरोसा दिया था। तत्कालीन विदेश मंत्री स्वराज ने 11 मई को कंचन को ट्वीटर के जरिये खुशी की खबर देते हुए लिखा था, ‘‘मुझे सूचित करते हुए अत्यंत खुशी है कि संतोष कुमार भारद्वाज नाइजीरिया में समुद्री डाकुओं से छूट गए हैं।’’ स्वराज की मृत्यु के बाद सदमें में कंचन तीन साल पहले उनकी मदद के लिए किये गए प्रयासों को असाधारण बताती हुई कहती हैं, ‘‘उनके ट्वीट पर जवाब और बातचीत से मुझे लगा था कि वह अपने परिवार की ही कोई सदस्य हैं, जो हमारे दु:ख से काफी आहत हैं। उनका जाना हमारे लिए बहुत बड़ी क्षति हैं, तो कभी पूरी नहीं हो सकती।’’