नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ योजना का असर मुस्लिम समाज में आम लोगों तक पहुंचता दिख रहा है क्योंकि एक ऐसी इफ्तार पार्टी का आयोजन किया गया जिसका मकसद लोगों को बेटियों के सशक्तीकरण का संदेश देना था।
दिल्ली के जामियानगर इलाके में कल शाम ‘तहरीक-ए-इस्लाहे मोआसरा’ नामक संगठन की दिल्ली-एनसीआर इकाई की ओर से आयोजित इस इफ्तार में उपस्थित मुस्लिम बुद्धिजीवियों और इस्लामी जानकारों ने लोगों से अपील की कि वे बेटियों की शिक्षा, बिना दहेज की शादी और जायदाद में लड़कियों की वाजिब हिस्सेदारी को अहमियत दें तथा इस अपने स्तर से प्रचार-प्रसार भी करें।
जामिया मिल्लिया इस्लामिया के इस्लामी अध्ययन विभाग के प्रोफेसर जुनैद हारिश ने लोगों से कहा, देश की हुकूमत ने बेटियों को बचाने और पढ़ाने की योजना शुरू की है। ऐसी योजनाओं का हमें बेटियों के सशक्तीकरण के लिए लाभ उठाना चाहिए। मुस्लिम समाज में लड़कियों की शिक्षा की स्थिति अच्छी नहीं है। इसलिए हमारी कोशिश होनी चाहिए लड़कियों की पढ़ाई पर जोर दें क्योंकि अगर बेटी ने पढ़ लिया तो आने वाली नस्लें शिक्षित हो जाएंगी।
उन्होंने कहा, समाज में बेटियों को बोझ समझने की एक सोच है। सबसे जरूरी है कि इस सोच को खत्म किया जाए। इस सोच को खत्म करने के लिए हम लोगों को बिना दहेज की शादी को बढ़ावा देना होगा। इसके साथ ही जायदाद में लड़कियों को वाजिब हिस्सेदारी देनी होगी। हर किसी को यह पहल अपने घर से करनी है। इस बात को आप लोग मुस्लिम समाज के भीतर फैलाइए।
संगठन की दिल्ली-एनसीआर इकाई के अध्यक्ष नसीम खान ने कहा, लड़कियों ने साबित किया है कि वे किसी भी कम नहीं हैं। अभी यूपीएससी की परीक्षा में शीर्ष चार स्थानों पर लड़कियां काबिज रहीं। सफल मुस्लिम परीक्षार्थियों में भी सबसे उपर एक लड़की (फौजिया तरन्नुम) रही। ये हमारे लिए प्रेरणा होनी चाहिए कि हम लड़कियों को अच्छी तालीम दें।
इफ्तार पार्टी में वकील फिरोज गाजी, शकील खान, न्यूरोसर्जन डॉक्टर आसिफ खान, जाकिर हुसैन कॉलेज के सहायक प्रेफेसर अहमद खान तथा कई मुस्लिम बुद्धिजीवी मौजूद थे।