23 Apr 2024, 12:48:20 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android
news » National

चंद्रयान-2 के प्रक्षेपण की उलटी गिनती शुरू, जानिए कितना अहम है यह मिशन

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jul 14 2019 10:19AM | Updated Date: Jul 14 2019 10:20AM
  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

श्रीहरिकोटा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की चंद्रमा पर भारत के दूसरे मिशन चंद्रयान-2 के प्रक्षेपण के 20 घंटों की उलटी गिनती रविवार सुबह शुरू हो गई। इसरो के अध्यक्ष डा. के शिवम ने बताया कि उलटी गिनती आज सुबह 6 बजकर 51 मिनट पर शुरू हो गयी। उन्होंने कहा कि सफल प्रक्षेपण की सभी तैयारियां पूरी कर ली गयी हैं तथा सभी उपकरणों की जांच का काम भी पूरा हो चुका है।
 
चंद्रयान-2 को ले जाने वाले देश के सबसे भारी रॉकेट जीएसएलवी भी सभी प्रकार की तैयारियों के साथ सोमवार को अपराह्न 02 बजकर 51 मिनट पर दूसरे लांच पैड से अंतरिक्ष में उड़ान भरने को लेकर तैयार है। चंद्रयान का प्रक्षेपण 15 जुलाई को तड़के दो बजकर 51 मिनट पर आँध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से किया जायेगा। इसके छह सितंबर को चंद्रमा पर पहुँचने की उम्मीद है।
 
इस मिशन के लिए जीएसएलवी-एमके3 एम1 प्रक्षेपणयान का इस्तेमाल किया जायेगा। इसरो ने बताया कि मिशन के लिए रिहर्सल शुक्रवार को पूरा हो गया था। इस मिशन के मुख्य उद्देश्यों में चंद्रमा पर पानी की मात्रा का अनुमान लगाना, उसके जमीन, उसमें मौजूद खनिजों एवं रसायनों तथा उनके वितरण का अध्ययन करना और चंद्रमा के बाहरी वातावरण की ताप-भौतिकी गुणों का विश्लेषण है।
 
उल्लेखनीय है चंद्रमा पर भारत के पहले मिशन चंद्रयान-1 ने वहां पानी की मौजूदगी की पुष्टि की थी। इस मिशन में चंद्रयान के साथ कुल 13 स्वदेशी पे-लोड यान वैज्ञानिक उपकरण भेजे जा रहे हैं। इनमें तरह-तरह के कैमरा, स्पेक्ट्रोमीटर, रडार, प्रोब और सिस्मोमीटर शामिल हैं। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का एक पैसिव पेलोड भी इस मिशन का हिस्सा है जिसका उद्देश्य पृथ्वी और चंद्रमा की दूरी सटीक दूरी पता लगाना है। यह मिशन इस मायने में खास है कि चंद्रयान चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास उतरेगा और सॉफ्ट लैडिंग करेगा।
 
चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर अब तक दुनिया का कोई मिशन नहीं उतरा है। चंद्रयान के तीन हिस्से हैं। ऑर्बिटर चंद्रमा की सतह से 100 किलोमीटर की ऊँचाई वाली कक्षा में चक्कर लगायेगा। लैंडर ऑर्बिटर से अलग हो चंद्रमा की सतह पर उतरेगा। इसे विक्रम नाम दिया गया है। यह दो मिनट प्रति सेकेंड की गति से चंद्रमा की जमीन पर उतरेगा। प्रज्ञान नाम का रोवर लैंडर से अलग होकर 50 मीटर की दूरी तक चंद्रमा की सतह पर घूमकर तस्वीरें लेगा।
 
  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

More News »