पटना। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य में इस बार सूखे की आशंका जताते हुए सभी संबंधित विभागों को बेहतर समन्वय बनाकर संभावित परिस्थिति से निपटने के लिए तैयार रहने का निर्देश दिया है। कुमार की अध्यक्षता में आज यहां राज्य में इस वर्ष संभावित बाढ़ एवं सुखाड़ से निपटने की पूर्व तैयारियों की समीक्षा बैठक हुई। इस दौरान आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत ने विभाग की ओर से इस संबंध में की जा रही तैयारियों के बारे में विस्तृत जानकारी मुख्यमंत्री को दी। उन्होंने बताया कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) और बिहार सरकार बीच सहमति पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर हो जायेगा, जिससे राज्य के बहुआयामी आपदा जोखिम आकलन में सहायता मिलेगी। मुख्यमंत्री ने बैठक में कहा कि मौसम विभाग ने इस बार भी प्रदेश में कम वर्षापात की आशंका जताई है।
जलवायु परिवर्तन होने से बारिश कम रही है। पिछले 13 वर्षों में बिहार में वर्षापात एक हजार मिलीमीटर से कम ही हुआ है लेकिन पिछले वर्ष सूखे की स्थिति रही और इस वर्ष भी इसकी संभावना बतायी जा रही है। उन्होंने कहा कि संबंधित विभाग आपस में बेहतर समन्वय करते रहें और फीडबैक के आधार पर संभावित परिस्थितियों से निपटने के लिये तैयार रहें। साथ ही कृषि इनपुट अनुदान और फसल सहायता योजना का लाभ सभी किसानों को दिलाना सुनिश्चित करें। कुमार ने कहा, ‘‘संभावित सूखे की स्थिति के लिये आपलोगों ने अपने विभागों के बारे में तैयारियों की जानकारी दी है, साथ ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सभी जिलाधिकारियों ने बाढ़ एवं सुखाड़ की स्थिति में अपने-अपने जिलों में इसके लिये की जा रही तैयारियों के बारे में जानकारी दी है।
बैठक में विभिन्न बिन्दुओं पर फीडबैक भी मिला है। 13 जुलाई तारीख को बिहार विधानमण्डल के सेट्रल हॉल में विधायकों, विधान पार्षदों के साथ भी इस संबंध में बैठक होगी और उनसे अपने-अपने क्षेत्र के संबंध में सुझाव एवं फीडबैक लिये जायेंगे।’’ मुख्यमंत्री ने कहा कि सूखे की स्थिति में वैकल्पिक फसलों के लिये भी योजना बना लेनी होगी। पशु शिविरों को कारगर करना होगा। कैटल टैप के साथ-साथ तालाबों को भी सुधार करना होगा। तालाबों की उड़ाही कराकर वहां सोलर पंपिंग सेट लगाने की व्यवस्था हो जाने से पानी की व्यवस्था सुनिश्चित हो जायेगी। इससे पशुओं को काफी राहत मिलेगी। उन्होंने कहा कि रेन वाटर हार्वेस्टिंग पर भी अमल करने के साथ ही चेक डैम की दिशा में काम करने की जरूरत है। कुमार ने कहा कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के माध्यम से सार्वजनिक तालाबों, पोखर, आहर आदि की खुदाई में कितने काम किये जा रहे हैं, इसके बारे में विभाग एवं जिलाधिकारी आंकलन करवा लें। पेयजल की व्यवस्था, कृषि के लिये पानी की उपलब्धता, लोगों की बीमारियों के बचाव के लिये संबंधित विभागों को तैयार रहना होगा।
सूखे वाले इलाकों में नए तकनीक वाले और ज्यादा गहराई वाले चापाकल लगाए जाएं। मुख्यमंत्री ने जल संसाधन विभाग को निर्देश देते हुए कहा कि जलाशयों का अपने स्तर से दौरा कर वहां की स्थिति का आकलन कर लीजिए। सूखे की स्थिति में जब कृषि क्षेत्र में लोगों को काम नहीं मिल पायेगा तो उनके वैकल्पिक रोजगार के लिये काम करना होगा, इसके लिये कई परियोजनायें बनाई गयी है।
मनरेगा, सड़कों का निर्माण, भवनों का निर्माण, स्कूल भवनों का निर्माण, हर घर नल जल योजना, पक्की गली नाली योजना, चापाकल की व्यवस्था करना, रेन वाटर हार्वेस्टिंग, वृक्ष लगाना, वृक्षों का रखरखाव करना जैसे कई कामों के माध्यम से लोगों को रोजगार दिलाया जा सकता है। कुमार ने कहा कि इस बात का भी सर्वेक्षण कराना होगा कि जो लोग कृषि क्षेत्र में मजदूरी नहीं कर रहे हैं, उनके वैकल्पिक रोजगार क्या है। सभी विभाग इस बात के लिये प्रयास करें कि अधिक से अधिक लोगों को वैकल्पिक रोजगार उपलब्ध करा सकें। सरकार के प्रयासों से बिहार का हरित आवरण क्षेत्र नौ प्रतिशत से बढ़ाकर 15 प्रतिशत कर दिया है और 17 प्रतिशत तक पहुंचने के लिये काम कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्यावरण के असंतुलन के कारण राज्य में जलस्तर नीचे गिरता जा रहा है। लोगों को इस बात के लिये जागरूक करना होगा कि पीने के स्वच्छ पेयजल का दुरूपयोग न हो, इसके लिये भी प्रेरित करना होगा।