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निर्मला ने विभिन्न सूक्तियों के सहारे पेश की बुलंद तस्वीर

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jul 6 2019 1:37AM | Updated Date: Jul 6 2019 1:37AM
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नई दिल्ली। लोकसभा में शुक्रवार को आम बजट पेश करते हुए पहली पूर्णकालिक महिला वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जहां चाणक्य नीति सूत्रम की सूक्तियों के सहारे न केवल सरकार, बल्कि खुद के बुलंद इरादे की तस्वीर पेश की, वहीं उर्दू शायरी के जरिये विपरीत परिस्थितियों में भी विकास की लौ जलाये रखने का संकल्प प्रस्तुत किया। सीतारमण ने अपने बजट भाषण में अंग्रेजी, हिन्दी, उर्दू, संस्कृत और तमिल भाषाओं का सम्पूर्ण मिश्रण दिखायी दिया। उन्होंने बजट भाषण के शुरू में एक शेर पढ़ा, ‘‘यकीन हो तो कोई रास्ता निकलता है, हवा की ओट लेकर भी चिराग जलता है।’’

अपनी इस शायरी से उन्होंने सरकार के इरादे जाहिर किये कि अगर इरादे बुलंद हो, दृढ़ निश्चय हो तो कोई भी लक्ष्य नामुमकिन नहीं है। इतना ही नहीं, उन्होंने संस्कृत में चाणक्यनीति सूत्रम की सूक्ति का उच्चारण किया, ‘‘कार्यपुरुषारकरेन लक्ष्यं संपादयतेत्।’’ उन्होंने बताया कि दृढ़ निश्चय के साथ कार्य करें तो काम पूरा होता ही है। उन्होंने अपने इन्हीं मजबूत इरादों और मंसूबों के साथ भारत के अगले कुछ सालों में 50 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के मोदी सरकार का लक्ष्य हासिल करने की उम्मीद जतायी। उन्होंने कहा, ‘‘जब हम 2014 में सरकार में आए तो हमारी अर्थव्यवस्था करीब 18.50 खरब डॉलर की थी लेकिन पांच साल में यह बढ़कर 27 खरब डॉलर पर पहुंच गई है। अगले कुछ सालों में इसे 50 खरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य है।’’ 

वित्त मंत्री ने बीच-बीच में स्वामी विवेकानंद, महात्मा गांधी तथा समाज सुधारक कन्नड संत बसवेश्वर की उक्तियों का भी उल्लेख किया। इस दौरान उन्होंने महात्मा गांधी के इस वाक्य को उद्धृत किया कि देश की आत्मा गांवों में बसती है। सीतारमण ने जब नारी सशक्तीकरण की बात की तो ‘नारी तू नारायणी’ के सूत्र का जिक्र किया और कहा कि स्वामी विवेकानंद ने कहा था, ‘‘दुनिया का कल्याण तब तक नहीं हो सकता जब तक महिलाओं की स्थिति नहीं सुधरेगी। पक्षी एक पंख से नहीं उड़ सकता।’’  वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘यह सरकार इस बात में विश्वास रखती है कि महिलाओं की बड़ी भागीदारी के साथ ही हम विकास कर सकते हैं। ग्रामीण अर्थव्यवस्था में महिलाओं की भागीदारी एक सुनहरी कहानी है।’’ उन्होंने कन्नड समाज सुधारक और दार्शनिक बस्वेश्वर के सिद्धांतों और शिक्षाओं का भी उल्लेख किया और कहा कि सरकार इन सिद्धांतों का अनुसरण करती है। सीतारमण ने जब कर संबंधी प्रस्ताव पढ़ने शुरू किये तो तमिल साहित्यिक कृति ‘पुरनानोरू’ के कुछ अंश पढ़े और अंग्रेजी में उसका अर्थ भी समझाया। 

 
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