नई दिल्ली। गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को कहा कि न्यायापालिका और कार्यपालिका विधायिका पर हावी हुई है, लेकिन इसके लिए स्वयं नीति निर्माता दोषी हैं। शाह ने यहाँ संसद भवन सौंध में लोकसभा के नवनिर्वाचित सदस्यों को संबोधित करते हुये उन्हें निर्भीक होकर अपनी बात रखने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि सांसदों में निर्भीक होकर अपनी और अपनी पार्टी की विचारधारा संसद के पटल पर रखने का साहस होना चाहिये। महाभारत का उदाहरण देते हुये उन्होंने कहा कि महाभारत का युद्ध इसीलिए हुआ कि हस्तिनापुर की सभा में राजा के खिलाफ अपनी बात कहने का साहस किसी में नहीं था। उस सभा में द्रोणाचार्य थे, भीष्म पितामह थे और विदुर नीति के लेखक महात्मा विदुर थे। लेकिन, सबने चुपचाप द्रोपदी का चीर-हरण होने दिया जिसकी परिणति आगे जाकर महाभारत युद्ध के रूप में हुई।
गृह मंत्री ने विधायिका की कमजोरी के लिए नीति निर्माताओं को ही दोषी ठहराते हुये कहा ‘‘हमारे संविधान ने देश को तीन हिस्सों में बाँटा है - न्यायपालिका, विधायिका और कार्यपालिका। समय के साथ विधायिका कमजोर हुई है। सबकी शिकायत है, और यह सही भी है, कि न्यायपालिका और कार्यपालिका हावी हुई है। मैं यह तो मानता हूँ कि न्यायपालिका और कार्यपालिका हावी हुई है, मगर मैं उन्हें दोष नहीं देता। दोष विधायिका का है, हम सबका है। यदि हम विधायिका का स्तर नीचे गिरा दें तो (कार्य विभाजन की) रेखा इतनी पतली है कि दूसरा हावी हो जायेगा। यह हमारा दायित्व है कि विधायिका को, संसद को मजबूत करें।’’ सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने भी अपने संबोधन में कहा कि न्यायपालिका और कार्यपालिका विधायिका के कार्यक्षेत्र में दखल दे रही है। उन्होंने कहा कि इस पर काफी चर्चा हुई है, लेकिन अंत में सबका यही मत है कि विधायिका ही सबसे ऊपर है।