नई दिल्ली। कांग्रेस ने आज राज्यसभा में कहा कि अनुसचित जाति, जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और आर्थिक रुप से कमजोर वर्गों के लोगों को आरक्षण नहीं देने वाले शिक्षण संस्थानों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। कांग्रेस के पी एल पुनिया ने सदन में केंद्रीय शैक्षणिक संस्था विधेयक 2019 पर चर्चा शुरू करते हुए कहा कि 13 अंकों और 200 अंकों की रोस्टर प्रणाली के असमंजस में कई शिक्षण संस्थानों ने कमजोर वर्गो के उम्मीदवारों की भर्ती ही नहीं की या उनके स्थान पर सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों की नियुक्ति कर ली। उन्होंने कहा कि सरकार को ऐसे शिक्षण संस्थानों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए जो एस सी, एसटी, ओबीसी तथा आर्थिक रुप से कमजोर वर्ग के उम्मीदवारों की भर्ती जानबूझकर नहीं करते हैं या इसे टालते रहते हैं।
पूनिया ने कहा कि सरकार को राज्य सरकारों के शिक्षण संस्थानों में भी आरक्षण की व्यवस्था को लागू कराना चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षण संस्थानों में अनुबंध शिक्षक, दैनिक शिक्षक एवं अतिथि शिक्षक की व्यवस्था की जाती है। इसमें भी आरक्षण लागू करने की व्यवस्था की जानी चाहिए। इससे पहले भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के इलामारम करीम सांविधिक संकल्प प्रस्तुत किया था। इसमें कहा गया था कि यह सभा राष्ट्रपति द्वारा 7 मार्च 2019 को प्रख्यापित केंद्रीय शैक्षणिक संस्था अध्यादेश 2019 का अनुमोदन नहीं करती है। इसके बाद मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल ने केंद्रीय शैक्षणिक संस्था विधेयक 2019 पेश किया।
उप सभापति हरिवंश विधेयक पर चर्चा शुरू करने के लिए जैसे ही सदस्य का नाम पुकारा तो करीम ने व्यवस्था का प्रश्न उठाया और कहा कि प्रावधानों के अनुसार विधेयक के प्रारुप का वितरण एक दिन पूर्व किया जाना चाहिए लेकिन इस विधेयक की सूचना अभी दी गयी है और वे इसमें संशोधन पेश करना चाहती है। माकपा के सदस्यों ने उनका समर्थन किया। हरिवंश ने उनकी आपत्तियों को खारिज करते हुए कहा कि सभापति ने संबंधित प्रावधान में ढील देते हुए इस विधेयक को पेश करने की अनुमति दी है। इसके अलावा कांग्रेस के सुब्बारामी रेड्डी से इसमें संशोधन पेश किये हैं। विधेयक में केंद्रीय शिक्षण संस्थानों में विभागों के स्थान पर पूरे संस्थान को इकाई मानकर आरक्षण की व्यवस्था का प्रावधान है। इस विधेयक में केंद्रीय शैक्षणिक संस्थाओं और शिक्षकों के काडर में अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लोगों की सीधी भर्ती द्वारा नियुक्तियों में पदों के आरक्षण और उससे संबंधित विषयों का उपबंध का प्रावधान है।