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संविधान खतरे में, देश को बाँटने की कोशिश : विपक्ष

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jun 26 2019 1:00AM | Updated Date: Jun 26 2019 1:00AM
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नई दिल्ली। विपक्ष ने मोदी सरकार पर उग्र राष्ट्रवाद फैलाकर देश को बाँटने की कोशिश का आरोप लगाते हुये कहा है कि आज संविधान खतरे में है। राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान लोकसभा में मंगलवार को तृणमूल कांग्रेस की महुआ मोइत्रा ने कहा कि आज संविधान खतरे में है। देश को बाँटने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने केंद्र सरकार पर उग्र राष्ट्रवाद और भीड़तंत्र वाला राष्ट्रवाद फैलाने का आरोप लगाया तथा कहा कि देश को एक रखने की बजाय बाँटने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि जो लोग 50 साल से देश में रह रहे हैं उनसे भारतीय होने के प्रमाण के तौर पर ‘कागज का एक टुकड़ा’ माँगा जा रहा है। वर्ष 2014 की तुलना में 2019 में घृणा से प्रेरित अपराधों की संख्या में 10 गुणा बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने कहा कि पिछला आम चुनाव झूठ और ‘फेक न्यूज’ के दम पर लड़ा गया। लोगों को ‘फर्जी दुश्मन’ का भय दिखाकर राष्ट्र सुरक्षा को बड़ा मुद्दा बनाया जा रहा है और सेना की उपलब्धियों को एक व्यक्ति अपने नाम करना चाहता है। सु मोइत्रा ने आरोप लगाया कि सत्ता पक्ष के लोगों को यह भी बर्दाश्त नहीं होता कि कोई उनसे सवाल पूछे। 
 
द्रविड़ मुनेत्र कषगम् के दयानिधि मारन ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी हालिया लोकसभा चुनाव में अपनी मजबूती के दम पर नहीं, बल्कि दूसरे दलों की कमजोरियों के दम पर जीती है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति के अभिभाषण में जल प्रबंधन एवं जल संकट की चर्चा की गयी है। नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, 2030 तक 40 प्रतिशत लोगों को पीने का साफ पानी भी उपलब्ध नहीं होगा। दिल्ली, चेन्नई और बेंगलुरु समेत 21 शहरों में वर्ष 2020 तक भूजल समाप्त हो जायेगा। उन्होंने तमिलनाडु सरकार पर राज्य की पानी की समस्या हल करने के लिए कोई प्रयास नहीं करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि जल संकट महत्त्वपूर्ण है और इसे लेकर तमिलनाडु के लोग परेशान हैं। उन्होंने केंद्र सरकार से तमिलनाडु के स्कूलों में हिंदी को न थोपने की अपील की। 
 
तेलुगुदेशम् पार्टी के जयदेव गल्ला ने कहा कि आज देश में दुबारा आपातकाल जैसी स्थिति बन गयी है। सरकार निर्वाचन आयोग का दुरुपयोग कर रही है। वह तेदेपा को भी तोड़ने की कोशिश कर रही है। उन्होंने सवाल किया कि क्या भाजपा यह चाहती है कि सभी पार्टियाँ समाप्त हो जायें और सब भाजपा में शामिल हो जायें, क्या उसके ‘सबका साथ’ का यही मतलब है।  गल्ला ने कहा कि सरकार के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रह्मण्यम् भी कह चुके हैं कि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आँकड़े ढाई प्रतिशत तक बढ़ाकर दिखाये गये हैं। पिछली तिमाही में जीडीपी विकास दर घटकर 5.8 प्रतिशत रह गयी। सरकार ने बेरोजगारी के आँकड़ों को दबाये रखा। इससे ऐसी स्थिति बनी है कि किसी भी आँकड़े पर विश्वास नहीं किया जा सकता। उन्होंने एक समिति बनाकर सभी आँकड़ों की समीक्षा की माँग की और कहा कि गलत आँकड़ों के आधार पर सही नीति नहीं बनायी जा सकती। 
 
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