नई दिल्ली। नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में भाजपा ने लोकसभा चुनावों में शानदार जीत दर्ज की है। 2014 चुनाव में की तरह इस बार मोदी लहर का जादू हर तरफ छाया हुआ है, बल्कि इसे मोदी लहर नहीं, मोदी सुनामी का नाम दिया जा रहा है। अब तक के रुझान बता रहे हैं कि भाजपा अपने सहयोगियों के साथ 350 से ज्यादा सीट हासिल करती दिख रही है, लेकिन मोदी की सुनामी के बीच कुछ ऐसे राज्य भी रहे जहां उनका जादू नहीं चल सका। ये तीनों राज्य दक्षिण भारत से हैं।
आंध्र प्रदेश
आंध्र प्रदेश में भाजपा और मोदी का असर काम नहीं आया। सीएम चंद्रबाबू नायडू ने भाजपा और मोदी के खिलाफ जबरदस्त मुहिम छेड़ी थी। हालांकि नायडू को खुद इसका फायदा नहीं हुआ और बाजी जगनमोहन रेड्डी बाजी मार ले गए। उन्होंने लोकसभा चुनाव में सबसे ज्यादा सीटें तो जीती हीं, विधानसभा चुनाव में भी प्रचंड बहुमत हासिल किया। नायडू दिल्ली में भागदौड़ करते रहे और उनकी कुर्सी जाती रही।
तमिलनाडु
इस राज्य में भी मोदी का जादू नहीं चल सका। भाजपा ने यहां अन्नाद्रमुक के साथ मिलकर चुनाव लड़ने का फैसला किया था। लेकिन ये फैसला सही साबित नहीं हुआ। विपक्षी द्रमुक ने कांग्रेस के साथ मिलकर भाजपा-अन्नाद्रमुक को धूल चटा दी। भाजपा को इस समझौते का कोई फायदा नहीं मिला। ऐन वक्त पर राहुल गांधी का फैसला कांग्रेस के लिए सही साबित हुआ अन्यथा यूपीए का ग्राफ और नीचे चला जाता।
केरल
केरल में भी भाजपा को कोई फायदा नहीं हुआ। कयास लग रहे थे कि इस बार मोदी मैजिक के सहारे केरल में भाजपा मजबूत मौजूदगी दर्ज कराएगी, लेकिन ये सिर्फ कयास ही साबित हुए। केरल में भाजपा और संघ की मेहनत का फिलहाल कोई नतीजा नहीं निकला है।
2014 में भी भाजपा ने इन राज्यों में इसी तरह का प्रदर्शन किया था। हालांकि उसने कर्नाटक में शानदार प्रदर्शन किया है। एक तरह से भाजपा को दक्षिण में अपनी पैठ बनाने के लिए अभी लंबा सफर तय करना होगा तभी वह सही मायनों में अखिल भारतीय पार्टी बन सकेगी।