नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अधिनियम की धारा- तीन (दो)(एक) के तहत अनिवार्य मृत्युदंड को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब तलब किया है। न्यायमूर्ति एस. ए. बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने दिल्ली के वकील ऋषि मल्होत्रा की उस याचिका की सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया, जिसमें यह कहा गया है कि यह प्रावधान ‘स्पष्ट रूप से मनमाना, असम्मानजनक, अत्यधिक, अनुचित, अन्यायपूर्ण, अनुचित, कठोर, असामान्य और क्रूर है। इस प्रावधान के तहत गैर-एससी/एसटी श्रेणी के व्यक्ति के लिए उस स्थिति में अनिवार्य मृत्युदंड का प्रावधान है, जहां वह किसी आपराधिक मामले में जानबूझकर गढ़े गए या गलत सबूत देता है जो किसी एससी/एसटी व्यक्ति के लिए मृत्युदंड का कारण बनता है। याचिका में कहा गया है कि यह अनिवार्य मृत्युदंड बचन सिंह और मिठू सिंह के मामलों में शीर्ष अदालत के आदेश के खिलाफ है। याचिका में यह भी कहा गया है कि पंजाब सरकार बनाम दलबीर सिंह, 2012 मामले में शस्त्र अधिनियम की धारा 27 (3) के तहत अनिवार्य मौत की सजा को भी संविधान के विपरीत घोषित किया गया है।