नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी ने संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के कार्यकाल में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के कारोबार-साझेदार को रक्षा सौदों का ऑफसेट मिलने संबंधी मीडिया रिपोर्टों पर गांधी को घेरते हुये शनिवार को कहा कि उन्हें इस पर अपनी चुप्पी तोड़नी चाहिये। वित्त मंत्री एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली ने आरोप लगाया कि इस ‘ऑफसेट’ सौदे से स्वयं गांधी को वित्तीय लाभ मिला है। उन्होंने कहा ‘‘उनकी इसमें क्या भूमिका थी? क्या वह रक्षा दलाल बनना चाहते हैं? राजनेताओं को चुप रहने का अधिकार नहीं है - खासकर उस व्यक्ति को जो प्रधानमंत्री बनने के सपने देख रहा हो।’’ जेटली ने कांग्रेस अध्यक्ष के प्रधानमंत्री मोदी पर राफेल सौदे में उद्योगपति अनिल अंबानी की कंपनी को ‘ऑफसेट’ दिलाने के आरोपों के परिप्रेक्ष्य में कहा ‘‘आप बिना किसी प्रमाण के दूसरों के बारे में धारणा बनाते हैं और उन पर आरोप लगाते रहते हैं। अब आपके बारे धारणा बनायी जायेगी।
हमने सुना था कि जब आप किसी की तरफ एक ऊंगली दिखाते हैं तो चार ऊंगलियां अपनी तरफ होती हैं। हमें नहीं मालूम था कि इतनी जल्दी इसका प्रमाण मिल जायेगा।’’ भाजपा नेता ने कहा कि 28 मई 2002 को ‘बैकऑप्स प्राइवेट लिमिटेड’ के नाम से भारत में एक कंपनी बनती है। राहुल गांधी और प्रियंका गांधी इसके निदेशक बनते हैं। ब्रिटेन में भी 21 अगस्त 2003 में इसी नाम से एक कंपनी बनती है। उसके निदेशक राहुल गांधी और एक अमेरिकी नागरिक अल्रिक मैकनाइट बनते हैं जो गोवा के वरिष्ठ कांग्रेसी नेता एडवर्ड फलेइरो से संबंध रखते हैं। इस कंपनी की कोई विनिर्माण इकाई नहीं है। यह एक तरह से लाइजनिंग करने वाली कंपनी है - यानी हम प्रभाव से आपका काम कराएंगे और बदले में पैसा लेंगे। यह इसका उद्देश्य था। उन्होंने कहा ‘‘फ्रांस की एक कंपनी को एक अनुबंध मिलता है जिसका ऑफसेट ऐसी कंपनी को दिया जाता है जिसकी बमुश्किल कोई पहचान थी, लेकिन जिसे चलाने वाले का श्री गाँधी के साथ कारोबारी लेनदेन था।