नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने भारतीय तीरंदाजी संघ के संशोधित संविधान को बुधवार को निरस्त करते हुए चार हफ्ते के भीतर संघ का नया चुनाव कराने का आदेश दिया। इस आदेश से खफा होकर एएआई के अध्यक्ष बीवीपी राव ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की पीठ ने दिल्ली उच्च न्यायालय की ओर से नियुक्त किये गये प्रशासक एस वाई कुरैशी द्वारा एएआई के संविधान में संशोधन को खारिज कर दिया। भारतीय ओलम्पिक संघ और खेल मंत्रालय दोनों ने इस संविधान और इसके अनुसार हुए चुनावों को लेकर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई थी। इसमें कहा गया, ‘‘आईओए पूरी तरह से पारदर्शिता के पक्ष में है, लेकिन संघ की स्वायत्तता का बचाव किया जाना चाहिए।’’ पीठ ने चार हफ्ते के भीतर एएआई के नये चुनाव कराये जाने का निर्देश भी दिया। न्यायालय के आदेश के बाद राव ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं भारतीय खेल प्रणाली के खिलाफ विरोधस्वरूप तुरंत प्रभाव से इस्तीफा देता हूं, जो सक्षम लोगों को आगे नहीं आने देता।’’ राव को दिसंबर में ही अध्यक्ष पद के लिए चुना गया था। इस नवीनतम फैसले का मतलब है कि 10 जून से होने वाली विश्व चैंपियनशिप के लिए भारतीय तीरंदाजों के साथ नया प्रशासनिक ढांचा होगा। राव की अगुआई वाली एएआई को भारतीय ओलंपिक संघ मान्यता नहीं देता और उसने उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत किया। कुरैशी के मार्गदर्शन में हुए चुनाव में 22 दिसंबर 2018 को सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी राव को एएआई का अध्यक्ष चुना गया, जिससे विजय कुमार मल्होत्रा के युग का अंत हुआ, जो 1973 से 2012 तक राष्ट्रीय संस्था के प्रमुख रहे। इसके बाद खेल संहिता का पालन नहीं करने के लिए खेल मंत्रालय ने एएआई की मान्यता रद्द कर दी थी। खेल मंत्रालय और आईओए ने एएआई के चुनावों को अब तक मान्यता नहीं दी थी। कुरैशी ने उच्च न्यायालय को जो संशोधित संविधान सौंपा था उसके कुछ नियमों पर इन दोनों को आपत्ति थी। इनकी आपत्ति थी कि संशोधित संविधान आंशिक रूप से भारतीय राष्ट्रीय खेल विकास संहिता 2011 के अनुरूप नहीं है। खेल मंत्रालय ने अपनी वार्षिक मान्यता प्रणाली के तहत भी एएआई को मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय महासंघों में जगह नहीं दी थी।