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चुनावी बॉण्ड के मसले में सरकार और आयोग आमने-सामने

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Apr 11 2019 12:45AM | Updated Date: Apr 11 2019 12:45AM
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नई दिल्ली। चुनावी बॉण्ड के मसले पर केंद्र सरकार और चुनाव आयोग उच्चतम न्यायालय में बुधवार को आमने-सामने नजर आये। केंद्र सरकार की ओर से पेश एटर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल ने मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली खंडपीठ के समक्ष दलील दी कि चुनाव में काले धन के इस्तेमाल पर रोक लगाने के लिए बॉण्ड की व्यवस्था की गयी है, क्योंकि चुनाव में सरकारी फंडिंग की व्यवस्था नहीं है। वेणुगोपाल ने न्यायालय को सूचित किया कि अनेक कंपनियां चुनावी चंदा देते वक्त विभिन्न कारणों से अपना नाम गुप्त रखना चाहती हैं। उन्होंने कहा कि चुनावी बॉण्ड के जरिये दिया गया चंदा सफेद धन होता है, क्योंकि जांच एजेंसियां यदि चाहें तो वे बैंकिंग चैनलों के जरिये इसकी जांच कर सकती हैं।
 
निर्वाचन आयोग ने, हालांकि स्पष्ट किया कि वह राजनीतिक दलों को धन देने के लिए चुनावी बॉण्ड जारी करने के खिलाफ नहीं है, लेकिन वह दानदाताओं के नाम छिपाने के खिलाफ जरूर है। आयोग की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने दलील दी कि वह चुनावी बॉण्ड योजना में पारदर्शिता चाहता है। न्यायालय चुनावी बॉण्ड जारी किये जाने के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है।  द्विवेदी ने कहा, ‘‘हम उस चंदे का विरोध नहीं कर रहे हैं जो वैध हैं, हम तो केवल इस योजना में पारदर्शिता चाहते हैं। हम दानदाताओं के नाम छिपाने के खिलाफ हैं।’’ इससे पहले पीठ ने चुनावी बॉण्ड पर रोक लगाने की मांग को लेकर दाखिल याचिकाओं पर लंबी सुनवाई की जरूरत बताई थी। एक याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में चुनावी बॉण्ड का ज्­यादातर फायदा एक ही दल को मिलने का आरोप लगाया है।
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