नई दिल्ली। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के अध्यक्ष डा. जी सतीश रेड्डी ने आज कहा कि भारत के उपग्रह रोधी मिसाइल परीक्षण से उत्पन्न मलबे से अंतरिक्ष में किसी तरह का खतरा नहीं है और इसके जरिये भारत ने 1000 किलोमीटर की उंचाई तक के उपग्रह को गिराने की प्रतिरोधक क्षमता हासिल कर ली है। उन्होंने जोर देकर कहा कि इस परीक्षण से उत्पन्न कुछ मलबा पिछले दस दिन में गल गया है और शेष अगले 30-35 दिनों में धीरे-धीरे नष्ट हो जायेगा। गत 27 मार्च को डीआरडीओ ने 283 किलोमीटर की ऊंचाई पर पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थित भारतीय उपग्रह को ए-सेट मिसाइल से मार गिराया था और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्र के नाम संबोधन में देश और दुनिया को भारत की उपलब्धि की जानकारी दी थी।
डा. रेड्डी ने सत्ररहवीं लोकसभा के पहले चरण के मतदान से ठीक पांच दिन पहले और इस परीक्षण के 11 दिन बाद शनिवार को संवाददाताओं को इसके तमाम तकनीकी पहलुओं की जानकारी दी। एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि इस संवाददाता सम्मेलन के लिए निर्वाचन आयोग से अनुमति ली गयी है। उन्होंने कहा कि यह परीक्षण केवल प्रतिरोधक क्षमता हासिल करने के लिए किया गया है। एक सवाल के जवाब में राष्ट्रीय उप सुरक्षा सलाहकार पंकज सरन ने कहा कि इससे पहले उन देशों से संपर्क किया गया था जिनके साथ भारत का अंतरिक्ष क्षेत्र में सहयोग है।
डीआरडीओ प्रमुख ने कहा कि भारत ने यह परीक्षण पूरी जिम्मेदारी के साथ इस बात का ध्यान रखते हुए किया है कि इससे अंतराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन या किसी अन्य उपग्रह को कोई खतरा नहीं पहुंचे। उन्होंने कहा कि यह परीक्षण केवल 283 किलोमीटर की ऊंचाई पर इस तरह से किया गया जिससे मलबा अंतरिक्ष में ज्यादा उपर की ओर न जाये। उन्होंने कहा कि अमेरिकी अंतरिक्ष एजेन्सी नासा ने भी कहा था कि इस मलब से 10 दिन तक खतरा हो सकता है लेकिन अब दस दिन बीत गये हैं और किसी तरह की समस्या नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि मलबे के कुछ टुकड़े उपर गये थे लेकिन वे तेजी से नष्ट हो रहे हैं और बाकी मलबा अगले 30 से 35 दिन में नष्ट हो जायेगा।