नई दिल्ली। कर्ज के जाल में फंसी जेट एयरवेज के चेयरमैन नरेश गोयल और उनकी पत्नी ने कंपनी के बोर्ड से इस्तीफा दे दिया है। जेट एयरवेज वर्तमान में भारी नकदी संकट से जूझ रही है। नरेश गोयल ने कंपनी के चेयरमैन पद से भी इस्तीफा दे दिया है। इससे पहले उन्होंने खुद इस्तीफे की पेशकश की थी। बता दें कि नरेश गोयल जेट एयरवेज के प्रमुख प्रमोटरों में से एक थे। उन्होंने संकट के बीच कर्मचारियों को भावुक पत्र भी लिखा था, जिसमें उन्होंने कहा था कि वह किसी भी बलिदान को तैयार हैं। जानकारी के अनुसार इसके पहले जेट एयरेवज की मौजूदा संकट को देखते हुए इस बात के कयास लगाए जा रहे थे कि नरेश गोयल व उनकी पत्नी कंपनी से इस्तीफा दे सकते हैं। जेट एयरवेज ने अपने कर्मचारियों को भुगतान तक नहीं किया है, वहीं कंपनी ने पट्टे पर प्लेन देने वाली कंपनियों को भी भुगतान नहीं किया है। नरेश गोयल के इस्तीफे के बीच ईटी नाउ ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि जेट एयरवेज में एतिहाद एयरवेज की हिस्सेदारी को 24 फीसदी से घटाकर 12 फीसदी किया जाएगा। साथ ही कंपनी में नरेश गोयल की हिस्सेदारी में को भी 51 फीसदी से घटाकर 25.5 फीसदी किया जाएगा।
कम होगी जेट एयरवेज में एतिहाद एयरवेज की हिस्सेदारी
कुछ दिन पहले की कंपनी की उड़ानों को लगातार रद्द होने के सिलसिले को देखते हुए भारतीय स्टेट बैंक ने नरेश गोयल व तीन अन्य निदेशकों को कंपनी से इस्तीफा देने को कहा था। जेट एयरवेज में एसबीआई प्रमुख उधारकर्ता है। जेट ने यह भी साफ कर दिया है कि वो एतिहाद के 24 फीसदी हिस्सेदारी का भी जारी नहीं रखेगा। कुछ दिन पहले ही एसबीआई के चेयरमैन रजनीश कुमार ने कहा था कि जेट एयरवेज के कारोबार को पूरी तरह से बंद करना एक अच्छा फैसला नहीं होगा। उन्होंने कहा था कि हमारा विश्वास है कि सभी के हितों को ध्यान में रखते हुए जेट एयरवेज का परिचालन चालू रहना चाहिए।
अब सीईओ विनय दुबे निकालेंगे हल
नरेश गोयल के हटने के बाद जेट के ऋणदाता संघ के सदस्य उनके 51 प्रतिशत हिस्सेदारी को एयरलाइंस में मिला सकते हैं। जिसके बाद आनेवाले हफ्तों में नए खरीददार की तलाश शुरू की जाएगी। नरेश के बाद सीईओ विनय दुबे जेट एयरवेज को संकट से बाहर निकालने की पूरी कोशिश करेंगे।
आपातकालीन फंड मिलने का भी दिख रहा रास्ता
दूसरी तरफ खबर है कि जेट एयरवेज को आपातकालीन फंड मिलने का रास्ता भी दिख रहा है। इसमें पंजाब नैशनल बैंक और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से 25 साल पुरानी इस एयरलाइंस को प्राथमिकता पर फंड दिया जाएगा। ऋणदाता संघ द्वारा प्राथमिकता पर फंड मिलने से जेट एयरवेज को मदद मिलेगी। अब जबतक कंपनी को बचाने का कोई नया प्लान नहीं बन जाता तबतक यह चलती रह सकेगी।
फंड के खिलाफ था एसबीआई
एसबीआई शुरूआत से अबतक जेट एयरवेज को आपातकाल फंड देने के खिलाफ रहा है। बैंक इस समस्या का सही समाधान चाहता था लेकिन अब वह फंड देने को तैयार है। लेकिन अब चुपचाप इसलिए मान गया होगा क्योंकि अगर जेट के खिलाफ दिवालिया प्रक्रिया शुरू हुई तो बैंक को ज्यादा कुछ नहीं मिलेगा। उसके हिस्सा सिर्फ ब्रैंड का नाम और कुछ रूट्स आएंगे। क्योंकि जेट के 119 विमानों में से कुछ ही उसके अपने हैं।
26 बैंकों का 8 हजार करोड़ कर्ज
फिलहाल जेट एयरवेज पर कुल 26 बैंकों का कर्ज है। इसमें कुछ प्राइवेट और विदेशी बैंक भी शामिल हैं। पब्लिक सेक्टर बैंक में केनरा बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, सिंडिकेट बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, इलाहबाद बैंक शामिल हैं। अब इस लिस्ट में एसबीआई और पीएनबी का नाम भी जुड़ जाएगा। एयरलाइंस पर करीब 8 हजार करोड़ का कर्ज है। जेट के पायलट पहले ही अल्टीमेटम दे चुके हैं कि अगर 31 मार्च तक उनका बकाया नहीं दिया गया तो वह किसी फ्लाइट को नहीं उड़ाएंगे।
एतिहाद एयरवेज ने खींचा था रिजॉल्युशन प्लान से हाथ
इसके पहले यूएई की विमान कंपनी और जेट एयरवेज में हिस्सेदार एतिहाद एयरवेज ने कहा था कि यदि जेट एयरवेज का रिजॉल्युशन प्रस्ताव पास नहीं होता है तो वह जेट एयरवेज में 750 करोड़ रुपए नहीं लगाएगी। बाद में एतिहाद ने यह भी कह दिया है कि बैंकों के कंसॉर्टिय द्वारा फंड जुटाने के प्लान में वह हिस्सा नहीं लेगी। इसके बाद जेट एयरवेज के पास खुद को बचाने के बहुत कम ही विकल्प रह गए थे। रिजॉल्युशन प्लान के तहत, उधारकतार्ओं द्वारा जेट एयरवेज को 750 करोड़ रुपए देने थे। वहीं, एतिहाद एयरवेज को भी इतनी ही रकम देनी थी।