नई दिल्ली। पिछली बार यानी वर्ष 2014 में लोकसभा का चुनाव जीतने और प्रधानमंत्री बनने के बाद 15 अगस्त को लाल किले से संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि वह प्रधानमंत्री नहीं, वरन प्रधान सेवक हैं। आगे चलकर उन्होंने अपने को देश का चौकीदार कहना शुरू कर दिया। इसका मतलब सिर्फ इतना ही था कि प्रधानमंत्री की कुर्सी उनके लिए उपभोग का साधन नहीं, वरन् सेवा का माध्यम है।
चौकीदार शब्द का प्रयोग करने के पीछे उनकी यह भी भावना रही होगी कि जैसे चौकीदार सतत सतर्क और जागरूक रहता है, उसी तरह वह सतत सतर्क और जागरूक रहेंगे और पहले की तरह देश को लुटने नहीं देंगे। इतना ही नहीं पहले जिन्होंने देश को लूटा है, उनसे हिसाब भी लेंगे और उन्हें कठघरे में खड़ा करेंगे। संभवत: इसी के चलते कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष राहुल गांधी ने राफेल लड़ाकू विमानों के सौदे के बहाने मोदी के लिए ‘चौकीदार चोर है’ कहना शुरू कर दिया।
राहुल गांधी के सलाहकारों ने गोयबल्स की नीति के तहत उन्हें समझाया होगा कि यदि किसी झूठ को सौ बार बोलो तो लोग उसे सच मान लेंगे। लेकिन जैसा कि कभी महान गीतकार गोपालदास नीरज ने लिखा था तम के पांव नहीं होते, वह चलता थाम ज्योति का अंचल। राहुल गांधी जो पूरी तरह अंधेरे में तीर मार रहे थे। वह किसी काम नहीं आया। सर्वोच्च न्यायालय और कैग द्वारा मोदी को क्लीनचिट दिए जाने के बाद भी राहुल की समझ में नहीं आया कि मोदी को चोर कहना आत्मघाती हो सकता है। कम-से-कम इस मामले में राहुल गांधी से ज्यादा समझदार और दूरदर्शी तो समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव निकले, जिन्होंने सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद ही कह दिया था कि अब ये राफेल प्रकरण समाप्त माना जाना चाहिए। 16 मार्च को उन्होंने फिर कहा कि उन्होंने मोदी को कभी चोर नहीं कहा। विभिन्न जनमत सर्वे भी यह बताते हैं कि राहुल गांधी और उनकी पार्टी ने चाहे जितने जोर-शोर से मोदी को चोर प्रचारित किया हो परंतु जन सामान्य में इसका कोई प्रभाव नहीं है। स्थिति यह है कि 16 मार्च को एक डिवेट में कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने मोदी को मसूद अजहर, ओसामा और दाउद इब्राहिम तक कहा तो इस डिवेट को देख रहे सारे लोग खड़े हुए और शेम-शेम के नारे लगाने लगे। स्पष्ट है कि देश का अवाम मोदी की ईमानदारी और देशभक्ति पर रंचमात्र भी शंका करने को तैयार नहीं है।
ऐसी स्थिति में जब मोदी देशवासियों से यह आह्वान और अपेक्षा करते हैं कि मैं भी चौकीदार तो जैसा कि वह स्वत: कहते हैं, ऐसा हर व्यक्ति जो भ्रष्टाचार, गंदगी और समाज के दुश्मनों से लड़ रहा है, वह चौकीदार है। वस्तुत: यह नारा देकर मोदी ने एक साथ कई संदेश दे दिया है। पहला संदेश तो सामाजिक समरसता का है। इसके अनुसार कोई काम करने से कोई व्यक्ति छोटा या तुच्छ नहीं हो जाता। इसी तरह से चौकीदारी भी कोई छोटा या तुच्छ काम नहीं है।
वस्तुत: मोदी ने इसके माध्यम से यह बता दिया है कि यदि हम सतत जागरूक रहें, अपने कर्तव्यों और अधिकारों का भली भांति उपयोग कर सकें तो समाज और राष्ट्र में भ्रष्टाचारी, कालाबाजारी करने वाले और कालाधन वाले नहीं पनप पाएंगे। मोदी शासन के पांच वर्षों में इसकी आधार भूमि तैयार हो चुकी है। यदि इस दिशा में सार्थक अर्थों में काम हो सका तो देश तेजी से प्रगति के पथ पर दौड़ सकेगा।