नई दिल्ली। भारत में जन्मी और अब अमेरिका की न्यूयॉर्क निवासी ताओ पोर्चन लिंच विश्व की सबसे उम्रदराज योग गुरु हैं। 100 वर्ष की आयु में भी उनका जोश कम नहीं हुआ है। दुनिया में योग को लोकप्रिय बनाने के उनके योगदान को देखते हुए भारत सरकार ने ताओ को पद्मश्री सम्मान 2019 से नवाजा है।
जिस उम्र में लोग अक्सर थकने लगते हैं, उनके जीवन में ठहराव आने लगता है, उस आयु में ऊर्जा से भरपूर रहना और निरंतर योगाभ्यास में लगे रहना, ताओ जैसी शख्सीयत ही कर सकती हैं। आखिर 100 वर्ष की आयु में इतना सब कर पाने की हिम्मत कहां से आती है, पूछने पर ताओ बताती हैं, सकारात्मक सोच मेरी कुंजी रही है। 100 साल पूरे करने के बावजूद मुझे खुद में कोई अंतर नहीं महसूस होता है और न ही मन में कोई भय रहता है। मैं कभी भी योगाभ्यास करना बंद नहीं करूंगी।
भारत से खास रिश्ता
ताओ का भारत से खास रिश्ता रहा है। यहीं पुडुचेरी में 13 अगस्त,1918 को इनका जन्म हुआ था। यहीं बचपन गुजरा। भारत के ही योग गुरुओं से उन्होंने योग का प्रशिक्षण लिया और फिर दुनियाभर में इसे लोकप्रिय बनाने में जुट गईं। ताओ ने बताया कि उनकी मां मणिपुर से थीं। जब वह सात महीने की थीं, तभी उनकी मां का देहांत हो गया। अंकल-आंटी ने ही उनका लालन-पालन किया। अंकल एक प्रतिष्ठित रेलरोड डिजाइनर थे।
समुद्र किनारे की कहानी
ताओ ने बताया कि वह पुडुचेरी में अपने घर के समीप समंदर किनारे घूमा करती थीं। वहां कुछ लड़कों को अक्सर रेत पर खेलते देखती थीं। धीरे-धीरे उनकी मूवमेंट्स को फॉलो करना शुरू कर दिया। ताओ को लगा कि उन्होंने कोई नया खेल सीख लिया है। उस शाम जब अपनी आंटी को यह सब बताया, तो उन्होंने कहा कि इसे योग कहते हैं और यह सिर्फ लड़के ही कर सकते हैं। लेकिन ताओ ने उनसे स्पष्ट कह दिया कि जो लड़के कर सकते हैं, वह लड़कियां भी कर सकती हैं। इस तरह आठ वर्ष की उम्र से ताओ ने लड़कों के साथ समुद्र तट पर योगाभ्यास करना शुरू किया।
अयंगर से सीखा योग
ताओ ने प्रख्यात योग गुरु बीकेएस अयंगर एवं के पट्टाभि जोएस से योग का प्रशिक्षण लिया है। ये अयंगर की पहली महिला शिष्या थीं। कहती हैं, मैंने दोनों से ही काफी कुछ सीखा। अपनी आंतरिक शक्ति को पहचान सकी। योग के अलावा ताओ एक बेहतरीन डांसर भी हैं। 75 वर्ष की आयु में इन्होंने 'अमेरिकाज गॉट टैलेंट' शो में हिस्सा लिया था। ताओ कहती हैं, आधुनिक जीवनशैली तनाव से भरी है। इसलिए कभी नकारात्मक न सोचें, क्योंकि आप जो सोचते हैं, वही बन जाते हैं। यह विश्वास रखें कि वह पूरा होगा। जब मैं सुबह उठती हूं, तो यही सोचती हूं कि वह मेरी जिंदगी का सर्वश्रेष्ठ दिन होगा।