नई दिल्ली। सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक के एक शीर्ष अधिकारी ने भारत की आंतरिक सुरक्षा और आतंकवाद को लेकर अपनी कंपनी के कर्मचारियों की आपत्तिजनक टिप्पणियों के लिए संसद की एक समिति के समक्ष बुधवार को माफी मांगी। इस दौरान उन्हें संसदीय समति के कठिन सवालों का सामना करना पड़ा। इस दौरान समिति के कुछ सदस्यों ने जोर दिया कि मामले में फेसबुक को स्पष्ट रूप से लिखित जवाब देनी चाहिए। फेसबुक के उपाध्यक्ष जोएल कपलान बुधवार को यहां सूचना प्रौद्योगिकी से संबंधित संसदीय स्थायी समिति के समक्ष पेश हुये और आतंकवाद विशेष रूप से पुलवामा आतंकवादी हमले को लेकर अपनी कंपनी के कर्मचारियों की कुछ आपत्तिजनक टिप्पणियों के लिए माफी मांगी।
इस समिति के अध्यक्ष भारतीय जनता पार्टी सांसद अनुराग ठाकुर हैं। सूत्रों ने बताया कि समिति के कुछ सदस्य इस बात से सहमत नहीं हैं कि फेसबुक और इसके कर्मचारी तटस्थ रहकर व्यवहार कर रहे हैं। समिति ने फेसबुक से लिखित प्रश्नों के एक सेट का जवाब लिखित में ही देने के लिए कहा है। 31 सदस्यीय इस समिति में भाजपा नेता एल के आडवाणी, विनय सहस्त्रबुद्धे और परेश रावल के अलावा तृणमूल नेता प्रसून बनर्जी, कांग्रेस नेता राज बब्बर और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता पी करुणाकरण भी शामिल हैं। संसदीय समिति ने 25 फरवरी को ट्विटर पब्लिक पॉलिसी के प्रमुख कोलिन क्रोवेल से भी पूछताछ की थी। सूत्रों के अनुसार समिति ने फेसबुक से चुनावों के दौरान अपने प्लेटफॉर्म का दुरुपयोग होने से रोकने के लिए जरूरी कदम उठाने और राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों और चुनाव आयोग की मदद करने के लिए कहा है। सूचना के अनुसार कंपनी ने समिति के समक्ष प्रतिबद्धता जताई है कि विज्ञापन के लिए भुगतान करने वालों की पहचान और स्थान उपयोगकर्ताओं के लिए एक विशेष वेब पेज पर उपलब्ध कराया जाएगा।
इस दौरान समिति के कुछ सदस्यों को यह एहसास हुआ कि फेसबुक अभी भी पारदर्शी होने को लेकर इच्छुक नहीं है। ठाकुर समेत कुछ अन्य सदस्यों ने फेसबुक के अधिकारी से उनकी कंपनी के कर्मचारियों के कुछ असंवेदनशील और आपत्तिजनक टिप्प्णी करने को लेकर सवाल किये। ठाकुर ने कहा, ‘‘फेसबुक के अधिकारी ने उन महत्वपूर्ण सवालों के जवाब देने की कोशिश की जिन्हें हमने उठाये थे। उन्होंने अपने विचार व्यक्त करने का अवसर देने के लिए समिति का धन्यवाद भी किया।’’ कपलान ने भारत में होने वाले चुनावों को लेकर की जा रही अपनी तैयारी को भारतीय अधिकारियों के साथ साझा करने का अवसर देने के लिए संसदीय समिति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की।