नई दिल्ली। मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस की जांच कर रहे जॉइंट डायरेक्टर एके शर्मा की CRPF में नियुक्ति से नाराज सुप्रीम कोर्ट ने CBI के पूर्व अंतरिम निदेशक नागेश्वर राव को अवमानना का दोषी ठहराते हुए उन पर एक लाख का जुर्माना ठोका है। राव की मंगलवार को अदालत में पेश हुई। इस दौरान चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने मामले की सुनवाई की। इस दौरान राव ने हलफनामा दाखिल कर सुप्रीम कोर्ट से बिना शर्त माफी मांगी है। कोर्ट ने राव को दिनभर कोर्ट में एक कोने में बैठे रहने की सजा सुनाई है।
सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से पेश अटॉनी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि नागेश्वर राव ने अपनी ग़लती माना है और ऐसा जानबूझकर नहीं किया गया। इसके जबाव में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि फाइल नोटिग्स से साफ है कि नागेश्वर राव को सुप्रीम कोर्ट के आदेश की जानकारी थी। बता दें कि न्यायालय का आदेश है कि बिना उसकी अनुमति के जांच से जुड़े किसी अधिकारी के ट्रांसफर नही किया जा सकता। चीफ जस्टिस ने ट्रांसफर प्रकिया की तेजी पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर एक अंतरिम डायरेक्टर ( नागेश्वर राव) फैसला नहीं लेता, तो क्या आसमान गिर जाता।
चीफ डस्टिस ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि एम नागेश्वर राव को कोर्ट के आदेश की जानकारी थी और दो हफ्ते तक कोर्ट को जानकारी नहीं दी गई। अगर राव उस दिन ट्रांसफर के आदेश पर हस्ताक्षर नहीं करते, अगर फैसला लेने से पहले कोर्ट को इसकी जानकारी दे दी जाती तो क्या आसमान गिर पड़ता। चीफ जस्टिस ने संकेत दिये कि वो राव की माफ़ी को नहीं स्वीकार कर रहेता। वो राव को अवमानना का दोषी करार देने वाले हैं और इसके लिए सजा के तौर पर उन्हें एक लाख का जुर्माना देना होगा।