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तीन तलाक बिल लोकसभा में पास - विरोध में विपक्ष ने किया वॉकआउट

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Dec 28 2018 12:38PM | Updated Date: Dec 28 2018 12:39PM
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नई दिल्ली। मुस्लिम समाज में एक बार में तीन तलाक यानी तलाक-ए-बिद्दत को रोकने के मकसद से लाया गया मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक-2018 लोकसभा में पास हो गया। हालांकि, इसके कुछ प्रावधानों का विरोध करते हुए कांग्रेस ने इसे संयुक्त प्रवर समिति में भेजने की मांग की तो सत्तारूढ़ भाजपा ने इसे मुस्लिम महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए उठाया गया ऐतिहासिक कदम करार दिया। संशोधनों पर वोटिंग से पहले कांग्रेस, एआईएडीएमके और अन्य विपक्षी दलों ने सदन से वॉकआउट किया। इसके बाद सदन में वोटिंग हुई। 
 
मुंह में राम बगल में छूरी
विधेयक पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस की सुष्मिता देव ने कहा कि उनकी पार्टी इस विधेयक के खिलाफ नहीं है, लेकिन सरकार के मुंह में राम बगल में छूरी वाले रुख के विरोध में है क्योंकि सरकार की मंशा मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलाने और उनका सशक्तिकरण की नहीं, बल्कि मुस्लिम पुरुषों को दंडित करने की है। उन्होंने तीन तलाक को अपराध की श्रेणी में शामिल किए जाने का विरोध करते हुए कहा कि कांग्रेस ने 2017 के विधेयक को लेकर जो चिंताएं जताई थी उसका ध्यान नहीं रखा गया। 
 
समाज को तोड़ने का बिल
कांग्रेस सांसद मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि महिलाओं के नाम पर लाया गया यह बिल समाज को जोड़ने का नहीं समाज को तोड़ने का बिल है। उन्होंने कहा कि यह समानता के अधिकार और इस्लाम के भी खिलाफ है। खड़गे ने कहा कि धर्म के नाम पर यह बिल भेदभाव करता है और धार्मिक आजादी के खिलाफ है। खड़गे ने कहा कि संविधान के मूल्य आधार के खिलाफ सरकार कोई भी कानून नहीं बना सकती है।
 
संशोधित बिल में जमानत का प्रावधान
- संशोधित विधेयक में पीड़िता, उससे खून का रिश्ता रखने वालों और विवाह से बने उसके रिश्तेदारों द्वारा ही पुलिस में प्राथमिकी दर्ज करवा सकने का प्रावधान है।
- तीन तलाक गैर जमानती अपराध तो है, लेकिन मजिस्ट्रेट पीड़िता का पक्ष सुनकर सुलह करा सकेंगे, जमानत भी दे सकेंगे। पीड़ित महिला मुआवजे की हकदार होगी। 
 
हम ऐसा क्यों नहीं कर सकते
केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि यह विधेयक महिलाओं को उनके अधिकार और न्याय दिलाने के लिए है, न कि किसी धर्म, समुदाय या विचार विशेष के खिलाफ। दुनिया में 20 इस्लामिक देशों ने तीन तलाक पर प्रतिबंध लगा दिया है तो हम ऐसा क्यों नहीं कर सकते। उन्होंने बताया कि तीन तलाक को सुप्रीम कोर्ट के गैरकानूनी करार दिए जाने के बाद देशभर में 248 मामले सामने आए हैं। हालांकि मीडिया और अन्य रिपोर्ट में ऐसे मामलों की संख्या 477 बताई जा रही है। कानून मंत्री ने यह भी बताया कि केंद्रीय स्तर पर ऐसे मामलों का राज्यवार ब्योरा नहीं रखा जाता, लेकिन प्राप्त जानकारी के अनुसार उत्तरप्रदेश में तीन तलाक के सबसे ज्यादा मामले आए हैं।
 
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