नई दिल्ली। देश में यातायात नियमों की अनदेखी कर सड़कों पर अंधाधुंध गाड़ियां चलाने वाले 41 फीसदी ड्राइवर ऐसे हैं, जो दुर्घटना होने पर पीड़ित को अस्पताल भी नहीं ले जाते और 37 फीसदी ऐसे हैं जो गाड़ी चलाते वक्त न दूसरों की फिक्र करते हैं न खुद की। फोर्ड के कार्टसी सर्वेक्षण रिपोर्ट से यह खुलासा हुआ है कि चेन्नई के 75 फीसदी वाहन चालक ऐसे हैं, जो दुर्घटना होने पर पीड़ित को अस्पताल नहीं ले जाते। इसके अलावा बेंगलुरू के 59 फीसदी, दिल्ली के 51 फीसदी, मुम्बई के 42 फीसदी, हैदराबाद के 38 फीसदी और इंदौर के 34 फीसदी ड्राइवर पीडित को अस्पताल नहीं ले जाते।
सर्वेक्षण में शामिल 51 फीसदी प्रतिभागियों को सीट बेल्ड की उपयोगिता के बारे में जानकारी नहीं हैं जबकि 22 फीसदी ड्राइविंग के वक्त मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते हैं। नियमों के पालन के मामले में मेट्रो शहर में हैदराबाद पहले स्थान पर है और गैर मेट्रो शहरों में लुधियाना अव्वल है। सबसे कम नियमों का पालन दिल्ली में किया जाता है। ट्रैफिक पुलिस के न होने पर दिल्ली के 42 फीसदी, चेन्नई के 38 फीसदी, मुम्बई के 35 फीसदी, बेंगलुरु के 25 फीसदी पुणे के 17 फीसदी, और इंदौर के 15 फीसदी ड्राइवर ट्रैफिक सिग्नल पर नहीं रुकते। चेन्नई में 94 फीसदी,लखनऊ में 69 फीसदी और दिल्ली के 64 फीसदी ड्राइवर न ही गति सीमा को मानते हैं और न ही निर्धारित लेन में रहते हैं।