मुंबई। निर्देशक हंसल मेहता और अभिनेता राजकुमार राव को एक-दूसरे का साथ बहुत पसंद है। 2013 में ‘शाहिद’ से लेकर 2018 में ‘ओमर्टा’ तक पिछले पांच सालों में दोनों ने चार फिल्में साथ-साथ कर ली हैं और पांचवीं का ऐलान भी कर दिया है। दोनों की ताजा फिल्म ‘ओमर्टा’ पाकिस्तानी मूल के एक ब्रिटिश आतंकवादी अहमद उमर सईद शेख के जीवन पर आधारित है।
इसमें 1994 में भारत में विदेशी नागरिकों के अपहरण, 1999 में कंधार विमान अपहरण के बाद तीन आतंकवादियों की रिहाई (जिसमें उमर भी शामिल था), 9/11 (11 सितंबर 2001 को अमेरिका पर आतंकवादी हमला), पाकिस्तान में अमेरिकी पत्रकार डेनियल पर्ल की हत्या और 2008 में मुंबई पर आतंकवादी हमले की घटनाओं को दिखाया गया है।
कुछ बातें पहले ही साफ कर देते हैं, ‘ओमर्टा’ शब्द का उमर नाम से कोई लेना-देना नहीं है। यह एक इटालियन शब्द है, जिसका अर्थ है खामोशी। एक साजिश भरी खामोशी, जो अपराधी जांच अधिकारियों के सामने अख्तियार कर लेते हैं, जब वे अपराधी से जांच के लिए पूछताछ कर रहे होते हैं। इसका इस्तेमाल माफिया की दुनिया में किया जाता है। दूसरी बात, यह पूरी तरह से हिंदी फिल्म नहीं है। करीब 95 मिनट की यह फिल्म आधे से ज्यादा अंग्रेजी में है। तीसरी, यह फीचर फिल्म कम, डॉक्यूड्रामा ज्यादा लगती है।
अहमद उमर सईद शेख (राजकुमार राव) एक पढ़ा-लिखा जहीन नौजवान है। वह बोस्निया में अपने मुस्लिम भाई-बहनों पर हो रहे अत्याचारों से बहुत दुखी हैं। वह उनकी मदद करना चाहता है और अपनी भावनाएं लंदन के एक मौलाना से साझा करता है। इसके बाद उसका ब्रेनवॉश शुरू किया जाता है और फिर ट्रेनिंग देकर एक बेहद खुंखार आतंकवादी बना दिया जाता है।