25 Apr 2024, 06:14:10 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

कलाकार: रणबीर कपूर, अनुष्का शर्मा, करण जौहर, मनीष चौधरी, सत्यदीप मिश्र, के के मेनन      

निर्देशक: अनुराग कश्यप

कहानी:
किसी फिल्म के लिए महत्वाकांक्षा कोई बुरी बात नहीं है लेकिन जब यह बड़े बजट की कोई मुंबईया फिल्म हो तो उम्मीदें काफी बढ़ जाती हैं। बहरहाल, इससे उम्मीदों के टूटने का भी खतरा ज्यादा रहता है। ‘बॉम्बे वेलवेट’ एक स्टाइलिश पीरियड फिल्म है जो ऐसी दिखती भी है लेकिन यह उम्मीदों पर खरा उतरती नही दिखती।
 
बहरहाल, निर्देशक अनुराग कश्यप की तारीफ करनी होगी कि उन्होंने कम से कम कुछ चुनौतीपूर्ण करने का प्रयास किया और इसके लिए चाहे उन्हें कोई भी कीमत क्यों न चुकानी पड़े। ‘बॉम्बे वेलवेट’ में उस समय के शहर की झलक दिखती है जब यह शहर जैज संगीत की संस्कृति में डूबा रहता है।
 
थोड़ी अधूरी पटकथा के साथ फिल्म में 1960 के दशक के बंबई के दोनों पहलुओं को दिखाने की कोशिश की गई है। ‘बॉम्बे वेलवेट’ प्रिंसटाउन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ज्ञान प्रकाश की किताब ‘मुंबई फेबल्स’ पर आधारित है। यह एक भारी भरकम लागत से बनी, सितारों की चकाचौंध वाली फिल्म है। इसलिए ‘बॉम्बे वेलवेट’ का उम्मीदों पर खरा उतरना जरूरी है और फिल्म के उम्मीदों पर खरे उतरने में केवल यही एकमात्र वजह नहीं है।
 
बॉम्बे वेलवेट को बहुत खूबसूरती से बनाया गया है और फिल्म में की गई मेहनत दिखती भी है। फिल्म में जोश भरपूर है लेकिन अभिनय नपी तुली है और आखिर में फिल्म का बेजान होना चकित करता है। फिल्म के पहले हिस्से में लालच, महत्वकांक्षा और साजिश का ताना बाना दिखता है जिसमें प्यार और वादे की दिलचस्प दास्तां भी है। वहीं फिल्म के दूसरे हिस्से में कई लड़ाईयों और गोलीबारी का दौर चलता है।
 
फिल्म में एक तरफ बॉक्सर जॉनी बलराज (रणबीर कपूर) और चर्चित जैज गायिका रोजी नोरोना (अनुष्का शर्मा) के बीच चूहे बिल्ली का खेल दिखता है तो दूसरी तरफ मीडिया के दिग्गज कैजाद खम्बाटा (करण जौहर) और समाचार पत्र के संपादक जिम्मी मिस्त्री (मनीष चौधरी) के बीच यही होता दिखता है। जो आखिर में एक बेतहाशा हिंसक दृश्यों में बदल जाता है जो फिल्म के वास्तविक उद्देश्य को ही खत्म कर देता है।
 
फिल्म में रणबीर कपूर का अभिनय प्रभावी रहा है। एक दिलकश जैज गायिका के किरदार में अनुष्का शर्मा भी ठीक दिखी हैं। बहरहाल, यह चौंकाता है कि आखिर अनुराग कश्यप ने करण जौहर में ऐसा क्या देखा जो उन्होंने उन्हें खलनायक की भूमिका के लिए चुना क्योंकि वह कोई अभिनेता नहीं हैं। बॉम्बे वेलवेट ठीक ठाक देखने लायक फिल्म है। हालांकि जैसी लोगों को उम्मीद थी यह फिल्म उसे पूरा नहीं करती।
 
 
 
 
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