निर्देशक: सुनहील सिप्पी
कलाकार: सोनाक्षी सिन्हा,पूरब कोहली ,कनन गिल और अन्य
कहानी:
फ़िल्म 'नूर' सबा इम्तियाज़ की किताब 'करांची यू किलिंग मी' पर आधारित है लेकिन किताब से यह फ़िल्म प्रेरित मात्र है क्योंकि फ़िल्म की कहानी मुंबई पर पूरी तरह से बेस्ड है और किताब के पात्र से अलग फ़िल्म का किरदार है।
एक अच्छे अपार्टमेंट में सभी सुविधाओं के साथ रहने वाली नूर एक न्यूज एजेंसी में काम करती हैं। यह एजेंसी एंटरटेनमेंट और मसालेदार खबरों में खासियत रखती है। लेकिन नूर अलग काम करना चाहती है। उसे मौका तब मिलता है जब उसके घर में काम करने वाली महिला उसे एक वीडियो देती है जिसमें एक घोटाले का पर्दाफाश होता है।
फिल्म देखते हुए साफ पता चलता है कि लेखक और निर्देशक को पत्रकार और पत्रकारिता की कोई जानकारी नहीं है। और कोई नहीं तो उपन्यासकार सबा इम्तियाज के साथ ही लेखक,निर्देशक और अभिनेत्री की संगत हो जाती तो फिल्म मूल के करीब होती।
ऐसा आग्रह करना उचित नहीं है कि फिल्म उपन्यास का अनुसरण करें, लेकिन किसी भी रूपांतरण में यह अपेक्षा की जाती है कि मूल के सार का आधार या विस्तार हो। इस पहलू से सुनील सिन्हा की ‘नूर’ निराश करती है। हिंदी में फिल्म बनाते समय भाषा, लहजा और मानस पर भी ध्यान देना चाहिए।
‘नूर’ महात्वाकांक्षी नूर राय चौधरी की कहानी है। वह समाज को प्रभावित करने वाली स्टोरी करना चाहती है, लेकिन उसे एजेंसी की जरूरत के मुताबिक सनी लियोनी का इंटरव्यू करना पड़ता है। उसके और भी गम है। उसका कोई प्रेमी नहीं है। बचपन के दोस्त पर वह भरोसा करती है, लेकिन उससे प्रेम नहीं करती।