डायरेक्टर: सुभाष कपूर
स्टार कास्ट: अक्षय कुमार, हुमा कुरैशी ,अन्नू कपूर, कुमुद मिश्र, सौरभ शुक्ल, सयानी गुप्ता, इनामुल हक़, मानव कौल
अक्सर सीक्वल अपने पहले भाग की तुलना में कमजोर रहते हैं, लेकिन 'जॉली एलएलबी 2' इस मामले में अपवाद है। अक्षय कुमार अभिनीत यह फिल्म अपने पहले भाग (जो अच्छा था) से आगे है। 'जॉली एलएलबी' में भारत की न्याय व्यवस्था की कार्यप्रणाली पर व्यंग्य किया गया था। साथ ही दिखाया गया था कि किस तरह वकील मुकदमों की आड़ में अपना उल्लू सीधा करते हैं। 'जॉली एलएलबी 2' में भी यही सब बाते लेकिन फर्जी एनकाउंटर वाला प्रकरण और अक्षय कुमार इस फिल्म को अलग लुक देते हैं।
कहानी:
जगदीश्वर मिश्रा उर्फ़ जॉली (अक्षय कुमार) एक मुंशी का बेटा है जो देश का बड़ा वकील बनाना चाहता हैं। पढाई करके जॉली ने एलएलबी की डिग्री तो पा ली हैं लेकिन कोई भी उसे काबिल वकील नहीं समझता। ऐसे में जॉली का मानना है कि वो कामयाब तभी बन पायेगा जब उसके पास अपना एक चेम्बर होगा। लेकिन चेम्बर पाने के लिए उसे 12 लाख की मोटी रकम देनी है जिसके लिए जॉली हर वक़्त कोशिश करता हैं।
इसी कोशिश में वो एक ऐसा काम कर बैठता हैं जिसके कारण उसकी इज्जत के साथ साथ उसके मुंशी पिता की इज्जत भी मिट्ठी में मिल जाती हैं। खोई इज्जत पाने और अपनी गलती का प्रायश्चित्त करने के लिए जॉली वो केस लड़ने के लिए मैदान में कूद पड़ता हैं जिससे हर कोई भागता हैं।
फेक एनकाउंटर की पोल खोलने चले जॉली को अंदाजा नहीं होता कि सिस्टम में मौजूद करप्ट अधिकारी अपना गला बचाने के लिए जॉली के इस हद तक पीछे पड़ जाएंगे कि बात उसकी जान तक पर बन आएगी। लेकिन अपनी हिम्मत और दिलेरी के चलते जॉली उस केस को जीत जाता हैं। जिसे देखने के बाद दर्शकों के चेहरे पर मुस्कान आना पक्का हैं।