प्रमुख कलाकार: आलिया भट्ट, शाहरुख खान
निर्देशक: गौरी शिंदे
कहानी:
मुंबई में रहने वाली कायरा की अपने पेरेंट्स से भी नहीं बनती, जो गोवा में रहते हैं। एक दिन कायरा को इमरजेंसी में अपना घर छोड़कर गोवा में अपने पेरेंट्स के पास जाना पड़ता है। यहां उसकी जिंदगी में एंट्री होती है डॉ. जहांगीर खान की जो कि एक साइकेट्रिस्ट है।
जहांगीर उसको समझाता है कि उसे अपनी जिंदगी को समझना होगा, अपने रिश्तो को अपनाना होगा। धीरे-धीरे कायरा को ये बातें समझ आने लगती हैं और उसके रिश्ते भी सामान्य होने लगते हैं।
तभी कायरा की जिंदगी में एक सिंगर रूमी (अली जफर) की एंट्री होती है, जिसे वो पसंद करती है लेकिन कन्फयूज है। तब कायरा से बात करके जहांगीर को उसके अतीत के बारे में पता चलता है, जिसपर उसके बचपन की कुछ बातों का गहरा असर पड़ता है।
फिल्म में आलिया की एक्टिंग जबरदस्त है और शाहरुख के साथ उनकी केमिस्ट्री भी अच्छी रही है। ये फिल्म एक उतसुक्ता के साथ शुरू होती है। कायरा की काफी सारी बातों और उलझनो से शायद आप रिलेट भी करेंगे लेकिन गौरी शिंदे की लास्ट फिल्म की तरह ये फिल्म बहुत सारी उम्मीद और आशाएं देकर नहीं जाती। फिल्म काफी लंबी है और कई बार ये लगता है कि लेक्चर बंद करो और फिल्म को भी।
फिल्म में एंटरटेनमेंट की बहुत कमी है। उम्मीद थी कि आलिया और किंग खान की जोड़ी कुछ अलग किस्म के रंग भरेगी लेकिन फिल्म ने इस प्वॉइंट पर निराश किया है।