कलाकार:
अक्षय कुमार, श्रुति हसन, सुमन तलवार, जयदीप अहलावत, सुनील ग्रोवर
कहानी:
बॉलीवुड की कालजयी फिल्म ‘शोले’ के खलनायक ‘गब्बर’ के नाम पर बनी इस फिल्म में वह नायक है। लेकिन यहां नायक गब्बर दर्शकों के मन में वैसी सिरहन पैदा नहीं करता जैसा ‘शोले’ का खलनायक करता था। फिल्म के निर्देशक कृष का हिंदी फिल्म जगत में यह पहला प्रयास है। इससे पहले वह दक्षिण भारतीय सिनेमा में कुछ फिल्मों को निर्देशित कर चुके हैं। भ्रष्टाचार और व्यवस्था से लड़ने वाला नायक हमने पहले भी कई फिल्मों में देखा है और ‘गब्बर इज बैक’ की कहानी भी उसी पृष्ठभूमि पर आधारित है।
फिल्म में मुख्य भूमिका में अक्षय कुमार हैं जो कि भ्रष्टाचार से लड़ने वाले एक छात्रों के समूह का नेतृत्व करते हैं और भ्रष्ट अधिकारियों एवं पुलिसकर्मियों का पर्दाफाश करते हैं। लेकिन पूरी फिल्म में नायक की भूमिका में अस्पष्टता है। कानून पालन करने वाली एजेंसियां ‘गब्बर’ के पीछे हैं लेकिन उनके पास उसका कोई सुराग नहीं है और ना ही उसके रहस्य को वे उजागर कर पाती हैं। वह अपने निर्णय लेता है और अपनी मर्जी से काम करता रहता है।
‘शोले’ को तो भूल जाइये, यह फिल्म इसी श्रेणी की ‘दबंग’ और ‘सिंघम’ की कतार में भी कहीं नहीं ठहरती। फिल्म में एक्शन दृश्य हैं लेकिन वे फिल्म को मजेदार नहीं बना पाते। खलनायक के नाम वाली इस फिल्म में एक खलनायक भी है जिसके किरदार को निभाया है तमिल तेलगू फिल्मों के अभिनेता सुमन तलवार ने। वह एक रियल एस्टेट क्षेत्र में प्रभाव रखता है और नौकरशाही को अपने इशारों पर नचाता है।
फिल्म में कलाकारों का अभिनय भी कुछ खास नहीं है और यहां तक कि सहायक कलाकार भी फिल्म में जान नहीं डाल पाते। फिल्म में भटकाव बहुत ज्यादा है ओर एक साथ कई मुद्दों को कहने की कोशिश की गई है। कुल मिलाकर कहें तो ‘गब्बर इज बैक’ अक्षय कुमार के पक्के प्रशंसकों के लिए है। वरना इससे बेहतर आनंद अभी भी पुराने गब्बर को देखने में आएगा।