कलाकार: हर्षवर्धन कपूर, सैयामी खेर, ओम पुरी।
निर्देशक: राकेश ओमप्रकाश मेहरा।
कहानी:
फिल्म 'मिर्ज्या' निर्देशक राकेश ओमप्रकाश मेहरा के अंदाज वाली भव्य फिल्म है लेकिन इस बार मेहरा एक पुरानी प्रेम कहानी को पर्दे पर दिखाने के लिए कुछ इस तरह गंभीर हो गये कि उन्होंने एक कला फिल्म बना डाली है। इस फिल्म की खास बात यह है कि अभिनेता अनिल कपूर के बेटे हर्षवर्धन कपूर ने इसके जरिये बॉलीवुड में पदार्पण किया है।
अभिनेत्री सैयामी खेर ने भी इस फिल्म के जरिये बॉलीवुड में अपनी शुरुआत की है। फिल्म की लोकेशनें और फोटोग्राफी कमाल की हैं लेकिन इसके लिए ही समय और पैसा लगाना मूर्खता होगा। हैरत की बात है कि प्रेम कहानी पर आधारित फिल्म का गीत संगीत जानदार नहीं बन पाया है।
फिल्म की कहानी मुनीश (हर्षवर्धन कपूर) और सूची (सैयामी खेर) के इर्दगिर्द घूमती है। दोनों स्कूल में साथ ही पढ़ते हैं और एक दूसरे से भावनात्मक रूप से जुड़े हुए हैं। एक दिन जब स्कूल में टीचर सूची की पिटाई कर देता है तो मुनीश से देखा नहीं जाता वह अपने पिता के रिवाल्वर से टीचर की हत्या कर देता है। मुनीश को गिरफ्तार कर बाल सुधार गृह भेज दिया जाता है जहां से वह भाग निकलता है।
वह लुहारों की बस्ती में जा पहुंचता है और बस्ती में रहकर आदिल नाम से बड़ा होता है। दूसरी ओर सूची विदेश से पढ़कर लौटती है तो उसकी शादी प्रिंस करण (अनुज चौधरी) से तय हो जाती है। मुनीश अपने बारे में सूची को नहीं बताता, लेकिन सूची को सब कुछ पता चल जाता है। प्रिंस चाहता है कि आदिल उसकी होने वाली पत्नी को घुड़सवारी सिखाए। सूची आदिल से घुड़सवारी सीखती है और दोनों एक-दूसरे के करीब फिर आ जाते हैं।
अभिनय के मामले में हर्षवर्धन कपूर ने वाकई मेहनत की है। उनका काम देखकर लगा कि वह बॉलीवुड में लंबी पारी खेलने आये हैं। सैयामी का काम भी अच्छा रहा लेकिन संवाद अदायगी पक्ष पर उन्हें अभी काफी काम करना होगा। अन्य सभी कलाकारों का काम भी ठीकठाक रहा।
कहानी पर शुरू से ही निर्देशक का नियंत्रण नहीं रहा और दूसरे हॉफ में तो कहानी पूरी तरह से बिखर कर रह गयी है। फिल्म का गीत संगीत भी प्रभावित नहीं कर पाया। निर्देशक राकेश ओमप्रकाश मेहरा की यह फिल्म पूरी तरह दर्शकों को निराश करती है।