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'मोहन जोदारो' (रिव्यू): कई फिल्मों की 'कॉकटेल' लेकिन रितिक की लाजवाब एक्टिंग

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Aug 13 2016 12:11PM | Updated Date: Aug 13 2016 12:13PM
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नई दिल्ली। फिल्म निर्माता आशुतोष गोवारिकर की फिल्म 'मोहन जोदारो' शुक्रवार को सिनेमाघरों में प्रदर्शित हुई। अभिनेता रितिक रोशन और पूजा हेगड़े की मुख्य भूमिकाओं वाली यह फिल्म सिंधु घाटी सभ्यता की कहानी पर आधारित है। यह फिल्म आशुतोष गोवारिकर की पहले की पीरियड फिल्मों का मिश्रण लगती है। फिल्म में गोवारिकर की 'जोधा अकबर', 'लगान', और 'खेलें हम जी जान से' का प्रभाव साफ दिखाई पड़ता है।

गोवारिकर ने 2016 बीसी के दृश्य को उकेरने की कोशिश की है। 'मोहन जोदारो' एक भारतीय किसान सरमन (रितिक) की कहानी है जो मोहन जोदारो के एक बाजार में जाता है जहां उसकी मुलाकात अपनी प्रेमिका चानी (पूजा हेगड़े) से होती है। इस नगर में मोहेन जोदरो में महम (कबीर बेदी) अपनी शक्तियों की वजह से बलपूर्वक सबके ऊपर राज करने की कोशिश करता है। महम चीनी का पिता है। सरमन को अपने प्यार और नगर दोनों को बचाने की जिम्मेदारी है और वह इसके लिए लड़ता है। 

पीरियड फिल्में पसंद करने वालों के लिए गोवारिकर ने निराश किया है। 'मोहन जोदारो' एक खराब कॉकटेल की हैंगओवर की तरह लगती है। 'लगान' के भूरा (रघुवीर यादव) और 'स्वेदश' के फकीर (मकरंद देशपांडे) की तरह इस फिल्म में जखीरा (पीयूष मिश्रा) है जो सरमन को 'मोहन जोदारो' के रहस्यों के बारे में बताता है। जखीरा सरमन को बताता है कि वह सही रास्ते पर है और उसे अपनी लड़ाई जारी रखनी चाहिए। 

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