कलाकार: ऐश्वर्या राय, रणदीप हुड्डा, रिचा चड्ढा, दर्शन कुमार, अंकुर भाटिया, अंकिता श्रीवास्तव, शिवानी सैनी, राम मूर्ति शर्मा
निर्देशक: उमंग कुमार
निर्माता: वाशु भगनानी, भूषण कुमार, संदीप सिंह
कहानी:
फिल्म की कहानी सरबजीत के खुशहाल परिवार के साथ शुरू होती है और फिर एक दिन वह शराब के नशे में बॉर्डर पार करके पाकिस्तान पहुंच जाता है, जहां उसे भारतीय जासूस और आतंकवादी कहकर गिरफ्तार कर लिया जाता है, और 13 साल तक पाकिस्तानी जेल में यातनाएं सहने के बाद एक हमले के चलते वह पाकिस्तान में ही दम तोड़ देता है।
सरबजीत की बहन दलबीर कौर का रोल ऐश्वर्या राय बच्चन निभा रही हैं और फिल्म में ऋचा चड्ढा सरबजीत की पत्नी बनी हैं।फिल्म ‘सरबजीत’ पाकिस्तान की सीमा से लगे पंजाब के एक गांव भीखीविंड के हंसते-खेलते परिवार से शुरू होती है, जिसमें सरबजीत, उसकी पत्नी, दो बेटियां, पिता और बहन हैं।
सरबजीत अपनी पत्नी सुखप्रीत कौर से बहुत प्यार करता है। एक रात सरबजीत शराब के नशे में सीमा पार कर लेता है। पाकिस्तानी रेंजर उसे पकड़ लेते हैं। सरबजीत के गायब होने पर दलबीर उसकी शिकायत पंचायत में करती है, लेकिन कुछ भी पता नहीं चल पाता है।
फिर कहानी पाकिस्तान की जेल में क़ैद सरबजीत को दर्शाती है जिसे पाकिस्तानी सेना के लोग सरहद पार कर जाने की वजह से गिरफ़्तार कर ले जाते हैं। सरबजीत की रिहाई के लिए दलबीर पाकिस्तान जाती है, लेकिन बात नहीं बन पाती। इसके बाद शुरू होती है सिस्टम के खिलाफ जंग।
फिल्म में गीत-संगीत है जो सरबजीत की जिंदगी के हसीन पलों को संजोता है, लेकिन गंभीर क्षणों में यह प्रभावी नहीं दिखता। ये कहानी कई जगह नाटकीय रूपांतरण से ग्रस्त नजर आती है। खासतौर से सरबजीत के पाकिस्तान जाने से पहले का कथानक काफी फिल्मी लगता है। फिल्म के एक सीन में सरबजीत की बेटी इस इंतजार से तंग आकर उकताकर अपने पिता की तमाम चीजें जला देती है। हताशा में ऐसा संभव है, लेकिन गिरते को फिर से संभालने वाले पलों पर काफी कम रोशनी डाली गयी है। किसी के घर वापस आने का चौबीस सालों का इंतजार काफी सहजता से कटता दिखाया गया है। बेटियां बड़ी हो गयीं और बहन बूढ़ी, लेकिन पत्नी वैसी की वैसी ही है। ऐसा लगता है कि इंतजार बस उस पर ही भारी नहीं पड़ा।
कथानक की चूक से दलबीर कौर का इधर से उधर धक्के खाने का संघर्ष असर नहीं जगाता, जबकि दूसरे छोर पर जेल में बंद सरबजीत की कहानी बार-बार चौंकाने वाली लगती है और असर भी दिखाती है। जेल में सरबजीत से उसके पूरे परिवार के मिलने वाला सीन काफी भावनात्मक है। ऐसे कुछेक दृश्य और भी है, जो फिल्म को जोड़े रखते हैं। खासतौर से सरबजीत के दृश्य। लेकिन फिल्म के सबसे चुनौतीपूर्ण किरदार दलबीर कौर में कथानक की आग लगभग नदारद-सी रहती है।
डायरेक्टर उमंग कुमार ने इस सच्ची घटना को बड़े पर्दे पर बड़ी बारीकी से उकेरने का पूरा प्रयास किया है। फिल्म में कई बार ऐसे सीन आएंगे जो आपको रुला देंगे।उमंग कुमार ने रियलिस्टिक कहानी को दर्शाने का पूरे दमखम के साथ निर्देशन की कमान संभाली है।