17 Apr 2024, 04:32:30 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

निर्देशक : अभिषेक शर्मा

कलाकार : मनीष पॉल, प्रद्युमन सिंह, सिकंदर खेर, सुगंधा गर्ग, राहुल सिंह, पीयूष मिश्रा, अली जाफर

बर्फीली सतह पर चलना एक बात है लेकिल हवा में तीर मारना बिल्कुल अलग बात है। निर्देशक अभिषेक शर्मा की ‘तेरे बिन लादेन : डेड ऑर अलाइव’ बिल्कुल ऐसी ही है और इसीलिए इसकी परिणीति अजूबे के समान ही होती है।
 
यह फिल्म 2010 में आई ‘तेरे बिन लादेन’ फिल्म का सीक्वल है। यह अमेरिका द्वारा अलकायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन को मारने के लिए चलाए गए अभियान पर बनाई गई एक हास्य फिल्म है लेकिन यह हास्यापद लगती है क्योंकि फिल्म में हास्य ठूंसा गया लगता है, वह स्वाभाविक रूप से उभर कर सामने नहीं आता।
 
वर्ष 2010 में आई फिल्म की कहानी में नयापन था और उसमें हास्य स्वाभाविक रूप से निखर कर आता था लेकिन फिल्म में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और उनके सहायक बने डेविड के किरदार बहुत ही हास्यापद स्थिति में इस फिल्म को ले जाते हैं।
 
फिल्म की कहानी शुरू होती है पुरानी दिल्ली के एक लड़के शर्मा (मनीष पॉल) से जिसका सपना बॉलीवुड में बड़ा नाम कमाना है। मुंबई में वह ओसामा जैसे दिखने वाले एक शख्स पद्दी सिंह (प्रद्युमन सिंह) के साथ मिलकर एक योजना बनाता है लेकिन ओसामा की मौत उसकी इस योजना को पलीता लगा देती है।
 
इन दोनों की जिंदगी में बदलाव तब आता है जब इनके जीवन में अमेरिकी एजेंट डेविड और एक आतंकी संगठन के सदस्य खलीली (पीयूष मिश्रा) का प्रवेश होता है। इनमें से एक ओसामा को जिंदा चाहता है जबकि दूसरा मुर्दा।
 
फिल्म में कई ऐसे दृश्य आते हैं जहां पर लगता है कि अभिनेता बड़ा आनंद ले रहे हैं लेकिन पटकथा का झोल उसे पर्दे पर फीका बना देता है। इसलिए कुल मिलाकर ‘तेरे बिन लादेन : डेड ऑर अलाइव’ एक औसत दर्जे की फिल्म रह जाती है और उतना प्रभाव भी नहीं छोड़ पाती जितना कि ‘तेरे बिन लादेन’ ने छोड़ा था।
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