29 Mar 2024, 12:37:09 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

फिल्म : वजीर 
निर्देशक : बिजॉय नाम्बियार निर्माता- विधु विनोद चोपड़ा
निर्देशक : संजय लीला भंसाली
स्टार कास्ट : अमिताभ बच्चन, फरहान अख्तर, अदितिराव हैदरी, जॉन अब्राहम, नील नितिन मुकेश, मानव कौल आदि।
 
बॉलीवुड निर्देशक बिजॉय नाम्बियार ने बिल्कुल अलग तरह के सिनेमा के लिए अपनी पहचान बनाई है। अब उसी के चलते निर्माता विधु विनोद के साथ मिलकर उनके विचारों के साथ एक बेहतरीन थ्रिलर फिल्म 'वजीर' को पेश किया है। आइए नीचे देखते हैं वह अपने इस प्रयास में कितना सफल रहे हैं। चलते हैं फिल्म की कहानी, स्क्रिप्ट और उसके अभिनय पक्ष की ओर -
 
कहानी :
फिल्म की कहानी शुरु होती है एटीएस ऑफिसर दॉनिश अली (फरहान अख्तर) से जो रुहाना (अदिति राव हैदरी) को देखने के लिए उसके घर जाता है। फिर एक दूसरे को पसंद करने के बाद दोनों की शादी हो जाती है उनको एक बच्ची भी होती है और उनका परिवार हंसी खुशी चलता रहता है। अचानक एक दिन वह अपने परिवार वालों के साथ घर से हंसी खुशी निकलता है लेकिन बीच रास्ते में एक ऐसी घटना हो जाती है जहां से उस परिवार की सारी खुशी खत्म हो जाती है और अब दानिश अपने बेटी के हत्यारों को मारने के लिए बेचैन रहता है।
 
अपने दिल को तसल्ली देने के लिए वह कभी-कभी बेटी की कब्र पर जाकर रोता है और अपनी जिंदगी को समाप्त करना चाहता है तभी वह पंडित ओमकारनाथ धर (अमिताभ बच्चन) वहां पर अपनी गाड़ी की लाइट जलाते हैं लेकिन दानिश को पता नहीं होता है कि वह है कौन। बिना कुछ बात किए पंडित ओमकारनाथ धर अपनी पर्स को वहां पर गिराकर वापस आ जाता है।
 
जिसे लेकर दानिश उनके घर आता है फिर उनसे मुलाकात होती है और देखते है वो शारीरिक रूप से 'दिव्यांग' हैं और बात करने पर पता चलता है कि दोनों की जिंदगी में कुछ ऐसी घटनाएं घटी होती हैं जो लगभग समान हैं और उसकी वजह से अब वह एक दूसरे की मदद करने पर विवश हो जाते हैं। इस तरह से कई दिलचस्प मोड़ लेते हुए फिल्म की कहानी आगे बढ़ती रहती है जिसका पता आपको फिल्म देखने के बाद पता चलेगा। 
 
स्क्रिप्ट :
फिल्म की स्क्रिप्ट बहुत ही कमाल की है। फिल्म की पूरी कहानी को कैसे शतरंज के खेल के साथ दिखाया गया है। यह वाकई काफी कमाल का है। कैसे एक मामूली सा प्यादा अपनी काबीलियत से वजीर बन जाता है यह देखना काफी दिलचस्प है। फिल्म के संवाद भी दिल को छूने वाले हैं। शतरंज के गोटों के साथ कलाकारों की तुलना बहुत ही शानदार तरीके से की गई है। यह स्क्रिप्ट की काबीलियत का परिचय देती है। 
 
अभिनय :
फरहान अख्तर ने एक बार फिर भाग मिल्खा भाग के बाद खुद को एक बेहतरीन अभिनेता के तौर पर साबित कर दिया है, वहीं फिल्म में कश्मीरी पंडित का किरदार वरुण तिवारी फिल्म रिव्यू प्यादा ही बनता है 'वजीर' निभा रहे अमिताभ बच्चन का अभिनय तो कमाल का है। उन्होंने जिस तरह से अपने किरदार को निभाया है और सजीवता प्रदान की है, वह अपने आप में लाजबाब है।
 
उनके अभिनय को देखने के बाद हर कोई बरबस यह कहने पर मजबूर होता दिखा कि क्या कमाल का अभिनय किया है। फिलहाल अदाकारा अदिति राव हैदरी के पास करने को कुछ खास नहीं था फिर भी एक पत्नी के रुप में वह ठीक-ठाक लगीं। फिल्म के विलेन के रूप में नजर आए अभिनेता 'मानव कौल' ने भी बेहतरीन अभिनय किया है।
 
कमजोर कड़ी :
फिल्म की शुरुआत जितनी खूबसूरत रही उतनी उसकी एंडिग नहीं। शायद फिल्म के क्लाइमेक्स को बेहतरीन और अनोखा बनाने के चक्कर में निर्देशक ने ऐसा किया हो फिलहाल फिल्म के समापन को थोड़ा और बेहतरीन करना चाहिए था जिसमें निर्देशक असफल होते नजर आए। कहानी पर जितनी पकड़ निर्देशक ने पूर्वाद्ध में बनाए रखा उसे उत्तरार्द्ध में कायम नहीं रख सके।
 
 
 
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