निर्देशक: प्रभुदेवा
कलाकार: अक्षय कुमार, ऐमी जैक्सन, लारा दत्ता, के के मेनन, रति अग्निहोत्री, कुणाल कपूर, योगराज सिंह
अपने अजीबोगरीब नाम की तरह पूरी तरह अर्थहीन फिल्म ‘सिंह इज ब्लिंग’ एक ऐसी कॉमेडी का प्रयास है, जो कि बेवजह हास्यपूर्ण बनाई गई है। फिल्म में कोई कहानी, कोई पटकथा या कोई तर्क नहीं है। अक्षय कुमार द्वारा सहनिर्मित यह फिल्म बॉलीवुड के इस स्टार को पर्दे पर कुछ चुनिंदा चीजें ही करने का मौका देती है। हालांकि अक्षय की बात की जाए तो वह खुद को मिली भूमिका में पूरी तरह डूबे नजर आए हैं।
दुर्भाग्य से, ‘सिंह इज ब्लिंग’ इतनी बचकानी है कि अक्षय कुमार ने कितने भी उत्साह के साथ इसे कारगर बनाने की कोशिश क्यों न की हो, वह एक बेकार सी कहानी पर सिर पटकते ही दिखाई देते हैं। ‘सिंह इज ब्लिंग’ प्रभुदेवा की पहली ‘मौलिक’ हिंदी फिल्म है लेकिन उनके काम में दोहराव ही दिखाई देता है। फिल्म में किए गए मजाक और संवाद बेहूदगी की सीमा पर खड़े दिखाई पड़ते हैं।
फिल्म पंजाब, गोवा, रोमानिया कुल तीन स्थानों पर फिल्माई गई है। सिनेमेटोग्राफर डूडली ने इन स्थानों पर धरती से लेकर आकाश तक का फिल्मांकन खूबसूरती के साथ किया है। यदि फिल्म में थोड़ा अर्थ होता, तो इसमें कैमरे के साथ किया गया काम फिल्म में कुछ खास अंतर ला पाता।
‘सिंह इज ब्लिंग’ का नायक रफ्तार सिंह (अक्षय) पंजाब के एक गांव का रहने वाला है। वह अपने दोस्तों के साथ मिलकर एक से दूसरी शैतानियों में लगा रहता है, जिसके कारण उसे अपने पिता (योगराज सिंह) की नाराजगी का सामना करना पड़ता है। लगातार अपनी प्यारी मां (रति अग्निहोत्री) द्वारा बचाए जाने पर रफ्तार चिड़ियाघर में नौकरी पर लग जाता है। तभी एक शेर अपने पिंजड़े से भाग जाता है और रफ्तार मजबूरन शेर की जगह कुत्ता पिंजड़े में भेज देता है।
उससे गुस्सा होकर उसके पापाजी उसे गोवा में एक कसीनो के मालिक के पास काम करने भेज देते हैं। वहां वह अपने मालिक का विश्वास जीत लेता है और उसे एक अंग्रेजी भाषी लड़की सारा राना (ऐमी जैक्सन) की देखभाल का काम सौंप दिया जाता है। वह रोमानिया से अपनी मां की देखरेख करने आई है।
मनोरंजन समीक्षा सिंह इज ब्लिंग दो अंतिम अब मुश्किल यह आती है कि रफ्तार को अंग्रेजी का एक शब्द भी नहीं आता और उसे इस खूबसूरत मेहमान से बात करने के लिए अनुवादक (लारा दत्ता) की मदद लेनी पड़ती है। सारा किसी बॉडीगार्ड की जरूरत महसूस नहीं करती। वह एक फ्री स्टाइल फाइटर है, जो अच्छे खासे पुरूषों को पटखनी दे सकती है।
‘सिंह इज ब्लिंग’ सिर्फ अक्षय कुमार के प्रशंसकों के लिए है। जैक्सन बेहद प्यारा चेहरा हैं और वह एक्शन सीन और रोमांटिक लम्हों दोनों में ही एक अभिनेत्री के रूप में अपनी मौजूदगी दर्ज कराती हैं। लारा दत्ता का विनोदी स्वभाव शानदार है लेकिन उनके किरदार को फिल्म में ज्यादा कुछ करने के लिए नहीं मिला।
फिल्म में के के मेनन भी हैं, जिन्हें बॉलीवुड के बेहतरीन चरित्र अभिनेताओं में से एक माना जाता है। वह फिल्म में एक खराब आदमी की भूमिका में हैं, जिसका हर बार कहना है: ‘‘इजी इज बोरिंग’’। इसलिए वह कुछ भी करता है, उसमें कुछ न कुछ नाटक ढूंढता ही रहता है।
प्रभुदेवा की फिल्मों के मानक के हिसाब से भी यह खलनायक उटपटांग सा है। यह न तो हास्यास्पद है और न ही मनहूस सा है। के के मेनन इतने फालतू शायद ही कभी दिखे हों। बेहद निरर्थक फिल्म ‘सिंह इज ब्लिंग’ एक ऐसी फिल्म है, जो कि कॉमेडी को ही मजाक बनाकर रख देती है।