फिल्म का नाम- हीरो
डायरेक्टर- निखिल आडवाणी
स्टार कास्ट- सूरज पंचोली, अथिया शेट्टी, आदित्य पंचोली, तिग्मांशु धूलिया ,शरद केलकर
अवधि- 131 मिनट
सर्टिफिकेट- U/A
रेटिंग- 2 स्टार
मुंबई। शुक्रवार को रिलीज फिल्म हीरो... प्यार और रोमांस की जीत की कहानी है। आपको बता दें निर्देषक सुभाष घई ने साल 1983 में नई स्टार कास्ट के साथ हीरो फिल्म बनाई थी जिसे रिलीज के कुछ महीनों बाद दर्शकों ने काफी सराहा और बॉलीवुड को जैकी श्रॉफ और मीनाक्षी जैसे बेहतरीन कलाकार मिले।
अब सलमान खान और निखिल आडवाणी ने हीरो को नए ढंग से पेश करने की कोशिश की है। वो भी 32 साल के बाद। अब इसमें कितना दम है और कितना चल पाती है इसका अंदाजा तो आप देखकर ही लगा सकते हैं। लेकिन आपको बता दें फिल्म का टाईटल सॉन्ग सलमान खान ने गाया है जो लोगों को काफी पसंद आ रहा है।
कहानी
यह कहानी है सूरज (सूरज पंचोली) और राधा (अथिया शेट्टी) के प्यार की। सूरज एक गैंगस्टर है जो पुलिस के चीफ की बेटी राधा को सुरक्षा का बहाना बनाकर शहर के बाहर ले जाता है और बाद में राधा को पता चलता है की वो किडनैप हो चुकी है। फिर कुछ दिनों के बाद सूरज फिर से राधा को वापस छोड़ आता है लेकिन तब तक दोनों के बीच में प्यार हो गया रहता है। उसके बाद सिलसिलेवार घटनाओं के साथ फिल्म आगे बढ़ती है और प्यार की कहानी मुकम्मल होती है। कहानी में पाशा (आदित्य पंचोली) का भी अहम किरदार होता है।
स्क्रिप्ट
फिल्म की कहानी काफी प्रेडिक्टेबल है। फिल्म की शूटिंग लोकेशंस और तरीके को देखकर लगता है की सलमान खान ने पैसे की कमी कहीं भी नहीं छोड़ी है लेकिन इस 'हीरो' का विलेन फिल्म के डायरेक्टर साबित होते हैं। सलमान खान इस फिल्म के लिए और भी बेहतर डायरेक्टर की तलाश कर सकते थे। बहुत ही कमजोर पटकथा और डायरेक्शन है।
अभिनय
फिल्म में सूरज पंचोली के एंट्री 10-20 गुंडों की पिटाई करते हुए होती है। स्लो मोशन फाइट सीन्स में उनकी जिम में संवारी हुई बॉडी की नुमाइश जमकर होती है। इसके अगले ही सीन में अथिया की एंट्री एक घिसे-पिटे क्लब सॉन्ग के जरिए होती है जहां उसका पुराना बॉयफ्रेंड उसे परेशान कर रहा है। सूरज उसकी भी पिटाई करता है।
अभिनय के मामले में सूरज और अथिया कहीं-कहीं आपको यह नहीं लगने देते की ये उनकी पहली फिल्म है। सूरज ने शारीरिक रूप से फिल्म के लिए काफी मेहनत की है जो आपको स्क्रीन पर दिखाई पड़ती है वहीं अथिया शेट्टी की अदाकारी सराहनीय है। इन दोनों सितारों का भविष्य काफी उज्जवल लगता है और इन्हें काम की कमी बिल्कुल नहीं होगी। दोनों एक्टर्स फिल्म की मजबूत कड़ी हैं।
वहीं तिग्मांशु धूलिया को देखकर लगता है की वो अभी भी गैंग्स ऑफ वासेपुर के किरदार से बाहर नहीं निकल पाए हैं, तिग्मांशु और बेहतर तरह से अपना किरदार निभा सकते थे। शरद केलकर का रोल काबिल ए तारीफ है।
संगीत
फिल्म के गीत हालांकि ज्यादा फेमस नहीं हो पाए हैं और इसका खामियाजा मेकर्स को उठाना पड़ सकता है। फिल्म में गानो के कुछ हिस्से कम किए जा सकते थे। लेकिन आखिरी के क्रेडिट लाइन्स में आने वाला सलमान खान का गीत ही सभी गानो पर भारी पड़ता है।
कमजोर कड़ी
फिल्म की सबसे कमजोर कड़ी इसका डायरेक्शन और पटकथा है। जहां ओरिजिनल 'हीरो' अपने दौर की मनोरंजक फिल्मों में से एक थी वहीं इस फिल्म में एंटरटेनमेंट की काफी कमी थी। पटकथा और बेहतर लिखी जा सकती थी। वहीं डायरेक्शन भी काफी फीका सा दिखाई पड़ता है। दोनों एक्टर्स की मेहनत उनके काम में दिखती है लेकिन उन्हें सवारने के लिए डायरेक्टर को भी ऐड़ी का जोर लगाने की जरूरत थी।