23 Apr 2024, 13:49:25 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

एक बार सरदार वल्लभ भाई पटेल कांग्रेस के लिए फंड एकत्रित करने रंगून गए। वहां उन्होंने अनेक व्यक्तियों से सहयोग मांगा। उन्होंने देखा कि जब भी वे चीनियों से चंदा मांगते थे तो वे सूची में अपना आंकड़ा नहीं चढ़ाते थे, बल्कि चुपके से अपने घरों के अंदर से श्रद्धानुसार चंदा लेकर जमा करा देते थे। अधिकतर चीनियों को ऐसा ही करते देख उन्होंने एक चीनी से कहा, 'भैया, आप लोग चंदा तो दे देते हो, किंतु उसे सूची में नहीं चढ़वाते। क्या आपके यहां ऐसा कोई रिवाज है? बिना सूची में चढ़ाए यह तो पता ही नहीं चलेगा कि आपने कितना चंदा दिया?'

यह प्रश्न सुनकर वह चीनी मुस्कराकर बोला,'नहीं, हमारे यहां ऐसा कोई रिवाज नहीं है, पर एक मान्यता अवश्य है।' यह सुनकर सरदार पटेल ने उस मान्यता के बारे में सुनने की इच्छा जताई। वह बोला,' हमारे यहां दान की रकम को धर्म ऋण कहते हैं। सूची में दान की रकम लिख दें और संयोगवश हमारे पास उतनी रकम न हो तो उसे चुकाने में जितने दिनों की देर होती है, उतने दिन का ऋण हम पर चढ़ जाता है। धर्म ऋण का पाप सबसे बुरा माना जाता है। वास्तव में धर्म ऋण का महत्व व उपयोगिता तभी श्रेष्ठ होती है जब वह पूरी गरिमा, श्रद्धा और सच्चे मन से दी जाए।' यह सुनकर सरदार पटेल बेहद खुश हुए।
 

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