एक अमेरिकी उद्योगपति अपने मजदूरों के साथ बड़ी बर्बरता से पेश आता था। विरोध में उसके मजदूरों ने लंबी हड़ताल कर दी। इससे उद्योगपति बहुत परेशान हो गया। उसने समझाने की काफी कोशिश की, लेकिन मजदूर हड़ताल वापस लेने को तैयार न हुए। उन दिनों फोर्ड मोटर की कामयाबी बुलंदियां छू रही थी।
यह देखकर उस उद्योगपति ने हेनरी फोर्ड से सलाह लेने की सोची। एक दिन वह सीधा फोर्ड के आॅफिस जा पहुंचा, लेकिन उस वक्त फोर्ड वहां मौजूद नहीं थे। जब उसने किसी कर्मचारी से फोर्ड के बारे में पूछा तो उसने बताया, 'सर अभी मजदूरों के साथ काम पर हैं। मैं अभी उन्हें आपके आने की सूचना देता हूं, आप बैठिए।' इसके बाद वह फोर्ड को बुलाने चला गया। कुछ ही देर में फोर्ड अपने कमरे में आ गए। उद्योगपति उनका अभिवादन करने के बाद बोला, 'सर, आप इतने बड़े कारोबार के मालिक होकर भी मजदूरों के साथ मिलकर काम कर रहे थे। ऐसे में यहां का अनुशासन और सम्मान कैसे बना रह पाएगा?' उद्योगपति की बात सुनकर फोर्ड मुस्कराते हुए बोले, 'मेरे यहां मालिक-मजदूर संघर्ष की कोई संभावना नहीं रहती। दरअसल, न मैं खुद को मालिक मानता हूं और न किसी को मजदूर। हम मिल जुल कर उत्साह भरे माहौल में काम करते हैं। इस कारण अनुशासन की समस्या ही पैदा नहीं होती।' इसके बाद फोर्ड ने पूछा, 'आपका यहां कैसे आना हुआ?' यह सुनकर उद्योगपति उत्साह से बोला, 'मैं जब यहां आया तब बहुत परेशान था। आपसे अपनी समस्या का समाधान चाहता था, पर आपसे मिलने के बाद मुझे समाधान मिल गया है। अब मैं भी मजदूरों के साथ आप जैसा ही बर्ताव करूंगा।'