एक समय एक राज्य के नागरिक पक्षियों से बहुत परेशान थे। वे उनके खेत-खलिहान बर्बाद कर देते थे। एक दिन नागरिक अपना दुखड़ा लेकर राजा के पास पहुंचे। राजा भी क्रोधित हुआ और उसने ऐलान कर दिया कि राज्य के सारे पक्षियों को मार दिया जाए, ताकि खेत नष्ट होने से बच जाएं। आदेश का पालन हुआ और धीरे-धीरे राज्य के सारे पक्षी समाप्त हो गए। अगले वर्ष जब लोगों ने अपने-अपने खेतों में अनाज बोया तो एक दाना भी नहीं उगा।
उसका कारण यह था कि मिट्टी में जो कीड़े थे, उन्होंने बीजों को खा लिया। पहले तो पक्षी ऐसे कीड़ों को खा जाया करते थे और फसल की रक्षा स्वयं ही हो जाती थी, लेकिन इस बार राज्य में कोई पक्षी बचा ही नहीं था जो इन कीड़ों को नष्ट करता और फसल की रक्षा होती। फसल पैदा न होने से राज्य में त्राहि-त्राहि मच गई। हर जगह भुखमरी के हालात पैदा हो गए। पहले तो लोगों को समझ में नहीं आया कि आखिर ऐसा हुआ क्यों? लेकिन जब उन्हें वस्तुस्थिति का पता चला तो वे अपनी करनी पर पछताने लगे और फिर राजा के पास जा पहुंचे।
नागरिकों की बात सुनकर राजा को भी अफसोस हुआ कि जो हुआ, वह ठीक नहीं हुआ। सर्वसम्मति से यह तय किया गया कि दूसरे राज्य से पक्षी मंगवाए जाएं। बड़ी संख्या में पक्षियों के आ जाने से स्थिति में सुधार होना शुरू हुआ। खेत-खलिहान लहलहाने लगे। अब लोग समझ गए कि सभी जीव इस सृष्टि में एक दूसरे पर निर्भर हैं। कोई छोटा या बड़ा नहीं है। सभी को एक-दूसरे की जरूरत है।