एक भक्त था वह परमात्मा को बहुत मानता था, बड़े प्रेम और भाव से उनकी सेवा किया करता था। एक दिन भगवान से कहने लगा मैं आपकी इतनी भक्ति करता हूं पर आज तक मुझे आपकी अनुभूति नहीं हुई। मैं चाहता हूं कि आप भले ही मुझे दर्शन न दें पर ऐसा कुछ कीजिये की मुझे ये अनुभव हो की आप हो।
भगवान ने कहा ठीक है, तुम रोज सुबह समुद्र के किनारे सैर पर जाते हो, जब तुम रेत पर चलोगे तो तुम्हे दो पैरो की जगह चार पैर दिखाई देंगे। दो तुम्हारे पैर होंगे और दो पैरो के निशान मेरे होंगे। इस तरह तुम्हे मेरी अनुभूति होगी। अगले दिन वह सैर पर गया, जब वह रेत पर चलने लगा तो उसे अपने पैरों के साथ-साथ दो पैर और भी दिखाई दिये वह बड़ा खुश हुआ। अब रोज ऐसा होने लगा।
एक बार उसे व्यापार में घाटा हुआ सब कुछ चला गया, वह सड़क पर आ गया उसके अपनो ने उसका साथ छोड दिया। देखो यही इस दुनिया की समस्या है। मुसीबत में सब साथ छोड़ देते है। उसे बड़ा आश्चर्य हुआ कि बुरे वक्त में भगवान ने भी साथ छोड़ दिया। धीरे-धीरे सब कुछ ठीक होने लगा फिर सब लोग उसके पास वापस आने लगे। एक दिन जब वह सैर पर गया तो उसने देखा कि चार पैर वापस दिखाई देने लगे।
उससे अब रहा नही गया, वह बोला-भगवान जब मेरा बुरा वक्त था तो सब ने मेरा साथ छोड़ दिया था पर मुझे इस बात का गम नहीं था क्योकि इस दुनिया में ऐसा ही होता है, पर आप ने भी उस समय मेरा साथ छोड़ दिया था, ऐसा क्यों किया? भगवान ने कहा तुमने ये कैसे सोच लिया कि मैं तुम्हारा साथ छोड़ दूंगा, तुम्हारे बुरे समय में जो रेत पर तुमने दो पैर के निशान देखे वे तुम्हारे पैरों के नहीं मेरे पैरों के थे, उस समय में तुम्हे अपनी गोद में उठाकर चलता था और आज जब तुम्हारा बुरा समय खत्म हो गया तो मैंने तुम्हे नीचे उतार दिया है।
इसलिए तुम्हे फिर से चार पैर दिखाई दे रहे। कहानी का आशय यह कि कभी भी भगवान पर भरोसा नहीं छोड़ना चाहिए। जब भी बड़ो के साथ बैठो तो परमात्मा का धन्यवाद दो, क्योंकि कुछ लोग इन लम्हों को तरसते हैं। जब भी अपने काम पर जाओ तो परमात्मा को धन्यवाद दो , क्योंकि बहुत से लोग बेरोजगार हैं। परमात्मा का धन्यवाद कहो जब तुम तंदुरुस्त हो, क्योंकि बीमार किसी भी कीमत पर सेहत खरीदने की ख्वाहिश रखते हैं।परमात्मा का धन्यवाद कहो की तुम जिंदा हो,क्योंकि मरे हुए लोगों से पूछो जिंदगी कीमत।