एक गुरु जी प्रवचन दे रहे थे, 'ईश्वर में आस्था बनाए रखो। ईश्वर सबकी रक्षा करता है।' एक शिष्य ने हैरान होते हुए एक-एक शब्द को हृदय में उतार रहा था। दूसरे दिन शिष्य जंगल से गुजर रहा था।
तभी एक आदमी सामने से दौड़ता हुआ आया। वह चिल्ला रहा था, 'बचाओ! पागल हाथी इधर ही आ रहा है। शिष्य ने मन ही मन गुरु जी के शब्द दोहराए, 'ईश्वर सबकी रक्षा करता है।' और शिष्य बिना डर के चल दिया।
थोड़ी देर बाद सामने से पागल हाथी चिंघाड़ता हुआ आया और शिष्य को धक्का देता हुआ भाग गया। शिष्य बाल-बाल बच गया और चोट खाकर आश्रम में पहुंचा। गुरु जी के सामने शिष्य ने शंका प्रकट की, 'मैंने ईश्वर में आस्था बनाये रखी, लेकिन ईश्वर ने मेरी रक्षा नहीं की।
गुरु जी ने कहा, 'ईश्वर में तुम्हारी आस्था का ध्यान रखकर ही एक रक्षक तुम्हें चेतावनी देने के लिए गया, लेकिन तुम नहीं चेते और बढ़ते चले गये। फिर भी पागल हाथी ने तुम्हें चोट पहुंचाकर ही छोड़ दिया।
यानी वह तो तुम्हें कुचलता हुआ चला जाता। ईश्वर में आस्था रखो और उसके द्वारा दी गई चेतावनी को समझने का प्रयास करो। वह सबकी रक्षा करता है।'