19 Apr 2024, 13:40:40 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

समाज में सफल लोगों को सम्माननीय दृष्टि से देखा जाता है। सफलता जीवन की कामयाबी का चिन्ह है। लेकिन सफलता से भी अधिक महत्वपूर्ण है इनसान का काबिल होना। चुनावों का समय था। हर ओर चुनाव का बिगुल बज रहा था। टिकट लेने के लिए लंबी लाइन लगी हुई थी। नेताओं के रिश्तेदारों को लग रहा था कि उनकी चांदी है, उन्हें सहजता से टिकट मिल जाएगा। उम्मीदवारों का चयन लाल बहादुर शास्त्री जी के हाथों में था। सभी उम्मीदवारों ने अपने नामांकन भरकर जमा करा दिए। जिस दिन चयन-सूची लगनी थी, उस दिन भारी भीड़ लाल बहादुर शास्त्री के आस-पास जमा थी। चयन-सूची बोर्ड पर लगा दी गई। सभी उम्मीदवार वहां अपना नाम तलाशने लगे। जब उम्मीदवारों की भीड़ वहां से छंट गई तो एक व्यक्ति  लालबहादुर शास्त्री के समीप आया और बोला, भैया कैसे हैं?  लाल बहादुर शास्त्री जी उस व्यक्ति  की ओर देखकर मुस्कराए और बोले, आप बताइए। मैं तो अच्छा हूं। यह सुनकर वह व्यक्ति बुरा-सा मुंह बनाते हुए बोला, अरे, आप हमारे संबंधियों में से एक हैं। संबंधी ही वक्त पर एक-दूसरे के काम आते हैं। ऐसे में आपने हमारा नाम चुने गए उम्मीदवारों में क्यों नहीं शामिल किया। उसकी बात सुनकर लाल बहादुर शास्त्री बोले,संबंधी अपनी जगह पर हैं और देश का हित अपनी जगह है। यह चुनाव देशहित में किए जा रहे हैं। चुनाव कोई पारिवारिक कार्य अथवा विवाह नहीं है जिसमें संबंधियों का होना जरूरी है। देशहित के लिए किए जा रहे चुनावों में योग्य, काबिल व शिक्षित उम्मीदवारों का होना अनिवार्य है, न कि अयोग्य संबंधियों का। हमें उम्मीदवार के रूप में ऐसे काबिल लोग चाहिए जो देश को अपने कंधों पर गर्व, मेहनत और आत्मविश्वास के साथ चला सकें। यह सुनकर वह व्यक्ति वहां से चला गया।

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