20 Apr 2024, 04:11:45 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

उन दिनों प्रसिद्ध उपन्यास-लेखक मुंशी प्रेमचंद गोरखपुर में अध्यापक थे। उन्होंने अपने यहां गाय पाल रखी थी। एक दिन चरते-चरते उनकी गाय वहां के अंग्रेज जिलाधीश के आवास के बाहरवाले उद्यान में घुस गई। अभी वह गाय वहां जाकर खड़ी ही हुई थी कि वह अंग्रेज बंदूक लेकर बाहर आ गया और उसने गुस्से से आग बबूला होकर बंदूक में गोली भर ली। उसी समय अपनी गाय को खोजते हुए प्रेमचंद वहां पहुंच गए। अंग्रेज ने कहा कि 'यह गाय अब तुम यहां से ले नहीं जा सकते। तुम्हारी इतनी हिम्मत कि तुमने अपने जानवर को मेरे उद्यान में घुसा दिया। मैं इसे अभी गोली मार देता हूं, तभी तुम काले लोगों को यह बात समझ में आएगी कि हम यहां हुकूमत कर रहे हैं।' और उसने भरी बंदूक गाय की ओर तान दी। प्रेमचंद ने नरमी से उसे समझाने की कोशिश की, ‘महोदय! इस बार गाय पर मेहरबानी करें। दूसरे दिन से इधर नहीं आएगी। मुझे ले जाने दें साहब। यह गलती से यहां आई।’ फिर भी अंग्रेज झल्लाकर यही कहता रहा, ‘तुम काला आदमी ईडियट हो - हम गाय को गोली मारेगा।’ और उसने बंदूक से गाय को निशान बनाना चाहा। प्रेमचंद झट से गाय और अंग्रेज जिलाधीश के बीच में आ खड़े हुए और गुस्से से बोले, ‘तो फिर चला गोली। देखूं तुझमें कितनी हिम्मत है। ले। पहले मुझे गोली मार।’ फिर तो अंग्रेज की हेकड़ी हिरन हो गई। वह बंदूक की नली नीची कर कहता हुआ अपने बंगले में घुस गया।

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