प्राचीन काल में उत्तरी चीन में एक बुजुर्ग रहता था। जो उत्तरी पहाड़ी का महामूर्ख कहलाता था। क्योंकि उसके घर के सामने दो बड़े पहाड़ थे। आने-जाने में बड़ी ही परेशानी होती थी। तो उस वृद्ध व्यक्ति ने अपने दोनों बेटों के साथ पहाड़ को काटना आरंभ कर दिया। उनके इस काम को देखकर वहां रहने वाले सभी लोगों ने उनका मजाक उड़ाया। बजुर्गु कहता, 'मेरे मरने के बाद मेरे बेटे पहाड़ा काटने का सिलसिला जारी रखेंगे। हालांकि ये पहाड़ बहुत ऊंचे हैं लेकिन हमारे इरादों और हौसलों से अधिक ऊंचे नहीं हो सकते। हम जितना इन्हें खोदते जाएंगे। ये उतने ही छोटे होते जाएंगे।' वहां मौजूद सभी लोग यह सुनकर हैरान हो गए। जिस वृद्ध को वो लोग महामूर्ख समझ रहे थे। वो उन्हें सफलता का मंत्र बता रहा था। दृढ़ संकल्प, मेहनत, ईमानदारी और लगन के साथ-साथ सकारात्मक सोच के जरिए ही सफलता अर्जित की जा सकती है। यह बात वो बुजुर्ग जानता था अंत में उसकी पीढ़ियों ने इसी मंत्र पर काम किया और अंत में उन पहाड़ों को अलग कर समतल रोड़ बनाई। यह कथा चीन की नीति कथा है। जो वहां अमूमन सुनी जा सकती है।