25 Apr 2024, 15:58:54 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

एक बार की बात है मगध के व्यापारी को व्यापार में बहुत लाभ हुआ। इसके बाद से वह अपने अधीनस्थों से अहंकारपूर्ण व्यवहार करने लगा। व्यापारी का अहंकार इतना प्रबल था कि उसके देखते हुए उसके परिजन भी अहंकार के वशीभूत हो गए। जब सभी के अहंकार आपस में टकराने लगे तो घर का वातावरण नर्क की तरह हो गया। दु:खी होकर एक दिन वह व्यापारी भगवान बुद्ध के पास पहुंचा और बोला- 'भगवन! मुझे इस नर्क से मुक्ति दिलाइए। मैं भी भिक्षु बनना चाहता हूं।' भगवान बुद्ध गंभीर स्वर में बोले, 'अभी तुम्हारे भिक्षु बनने का समय नहीं आया है।' उन्होंने कहा कि भिक्षु को पलायनवादी नहीं होना चाहिए। जैसे व्यवहार की अपेक्षा तुम दूसरों से करते हो, स्वयं भी दूसरों के प्रति वैसा ही व्यवहार करो। ऐसा करने से तुम्हारा घर ही मंदिर बन जाएगा।' उस व्यापारी ने भगवान बुद्ध की सीख को अपनाया और घर का वातावरण स्वत: बदल गया। आप दूसरों के साथ वह व्यवहार न करो, जो तुम्हें अपने लिए पसंद नहीं। व्यापारी का अहंकार इतना प्रबल था कि उसके देखते हुए उसके परिजन भी अहंकार के वशीभूत हो गए।

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