25 Apr 2024, 10:32:05 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

संत राबिया किसी धर्मग्रंथ का अध्ययन कर रही थीं। अचानक उनकी निगाह एक शब्द पर आकर रुक गई। वह शब्द था, 'दुर्जनों से घृणा करो?' वे कुछ देर तक उसी को दोहराती रहीं फिर उन्होंने उस पंक्ति को काट दिया। कुछ समय बाद दो संत उनके घर आए सामने रखे ग्रंथ पर उनकी निगाह पड़ी तो वे उस ग्रंथ को पढ़ने लगे। उन्होंने तब उस कटे हुए शब्द को पढ़ा और संत राबिया से पूछा, 'इस शब्द को आपने क्यों काट दिया है?'संत राबिया बोलीं, इस पंक्ति को मैंने ही काटा है। दोनों संत नाराज होते हुए बोले, 'धर्मग्रंथ में जो लिखा है वो गलत नहीं हो सकता आपने उसमें संशोधन करने की कोशिश क्यों की?' राबिया ने कहा, पहले मुझे लगा कि यह ठीक लिखा है फिर मुझे ऐसा लगा कि दुर्जनों से नहीं उनके दुर्गणों से घृणा करो। यह ठीक है इसलिए मैंने यह शब्द काट दिया। हमें यह प्रयास करना चाहिए कि हम एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव रखें। मानव के लिए प्रेम के अतिरिक्त और कोई भाव नहीं है। संत राबिया की बात सुनकर वो दोनों संत चुपचाप वहां से चले गए।

  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

More News »