25 Apr 2024, 09:26:20 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

एक व्यक्ति दूरबीन लेकर लोगों को तमाशा दिखाया करता था। एक दिन उसे पता चला कि शहर के एक हिस्से में सांप्रदायिक दंगे भड़क रहे हैं। वह फौरन अपनी दूरबीन लेकर वहां पहुंच गया। वहां दो व्यक्ति लड़ रहे थे। उसने उन्हें रोका और तमाशा देखने को कहा। दूरबीन वाले ने एक से पूछा-'बोलिए, आप क्या देखना चाहते हैं?' उसने कहा-'स्वर्गलोक।' दूसरे ने कहा-'पृथ्वी।'  उसने पहले व्यक्ति की आंखों के सामने दूरबीन रखी और पूछा-'कुछ दिख रहा है?' जवाब मिला-'हां, स्वर्गलोक दिख रहा है। भगवान  व्यस्त हैं वे अपनी आकृति के अनुसार मनुष्यों का निर्माण कर रहे हैं।' अब उसने दूसरे से  पृथ्वी की ओर देखने को कहा। वह देखने लगा तो दूरबीन वाले ने उससे पूछा-'कुछ नजर आ रहा है?'

दूसरे व्यक्ति ने कहा-'अरे वाह। मुझे तो पृथ्वी के सभी मंदिर, मस्जिद, चर्च और गुरुद्वारे दिखाई दे रहे हैं। उनमें कई इनसान बैठे हैं।' दूरबीन वाले ने पहले से पूछा-'स्वर्गलोक में कितने भगवान दिखे?' उसने जवाब दिया-'भगवान तो एक ही था, पर मनुष्य की आकृतियां अनेक थीं।' फिर दूसरे व्यक्ति से पूछा-'तुम्हें सभी पूजा स्थलों में क्या दिखाई दिया?' उसने उत्तर दिया-'वहां तरह-तरह के मनुष्य हैं और सब अपने जैसे तरह-तरह के भगवान बना रहे हैं।' यह सुनकर दूरबीन वाला बोला-'बस यही झगड़े की जड़ है। इस पृथ्वी पर इनसान अपने-अपने भगवान बना लेता है। लेकिन वह यह नहीं समझ पाता कि उसे बनाने वाला वह परमात्मा एक ही है।' दूरबीन वाले की यह सरल व बोधगम्य व्याख्या सुनने वालों के मन में उतर गई और उन्होंने आपस में लड़ना बंद कर दिया।

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