शेख फरीद से एक व्यक्ति ने पूछा- 'सुना है जब प्रभु ईसा को सूली पर चढ़ाया जा रहा था तो उनके चेहरे पर खुशी झलक रही थी। तनिक भी दुख नहीं था। हमने सुना है कि जब मंसूर के हाथ-पैर काटे गए, आंखें फोड़ी गईं तब उन्होंने 'चूं' तक नहीं की। मुझे तो विश्वास नहीं होता।' फरीद ने एक कच्चा नारियल मंगाया और फोड़ने को कहा। उसने सोचा, शेख प्रश्न का उत्तर दे नहीं पा रहे हैं, इसीलिए उसका ध्यान कहीं और मोड़ रहे हैं। वह बोला, 'महाराज, आपने मेरे प्रश्न का जवाब नहीं दिया।' फरीद बोले, 'पहले इस नारियल को फोड़ो, लेकिन ध्यान रखना कि गरी अलग निकल आए।' व्यक्ति बोला, 'यह कैसे हो सकता है?
यह नारियल तो कच्चा है और इसकी गरी और खोल दोनों जुड़े हुए हैं।' फरीद ने तब एक सूखा नारियल दिया और कहा, 'अब इसे फोड़कर इसकी गरी देना।' उस व्यक्ति ने तुरंत नारियल फोड़कर गरी निकाल कर सामने रख दी। फरीद ने अब उससे पूछा, 'इसकी गरी कैसे निकल आई?' जवाब मिला, 'यह तो सूखी थी, इसलिए खोल से अलग थी, इसी कारण निकल आई।' फरीद बोले, 'तुम्हारे प्रश्न का यही उत्तर है। आम लोगों का शरीर खोल से जुड़ा होता है। जब उनके शरीर को चोट पहुंचती है तो उनकी अंतरात्मा को भी चोट पहुंचती है, लेकिन ईसा और मंसूर जैसे महात्मा अपने अंतरात्मा को खोल से अलग रखते हैं। इस कारण यातना देने पर भी उन्हें न पीड़ा हुई, न रंज।'