24 Apr 2024, 18:37:48 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

जीवन का लक्ष्य होना चाहिए, निरंतर चलते रहो, तब तक चलते रहो, जब तक कि मंजिल न पा लो। जीवन चलायमान है, चलता ही रहता है, अपनी निर्बाध गति से। जीवन न तो रुकता है और न ही कभी थकता है। जीवन पानी की तरह निरंतर बहता रहता है। जीवन कभी नहीं हारता है, उससे हम ही हार जाते हैं। चलते रहो और पीछे मुड़कर कभी न देखो, लक्ष्य शिखर की ओर रखो। नेपोलियन बोनापार्ट का कहना था कि जो व्यक्ति अकेले चलते हैं, वे तेजी से आगे की ओर बढ़ते हैं। जीवन एक प्रयोग है, नित नए प्रयोग करते रहो, अनुभवों का विस्तार करो और नवजीवन, नवसृष्टि का सृजन करो। गिरकर उठना और उठकर पुन: अपने लक्ष्य की ओर चल पड़ना ही कामयाब जीवन का राज है।

चलना ही जीवन है। गीता में कहा है, व्यक्ति पृथ्वी पर अकेला ही आता है व अकेला ही जाता है। प्रगति के नाम पर आज जो कुछ हो रहा है—उससे मानव व्यथित है, समाज परेशान है, राष्ट्र चिंतित है। अपेक्षा है आज तक जो अतिक्रमण हुआ है, स्वयं से स्वयं की दूरी बढ़ाने के जो उपक्रम हुए हैं उनसे पलट कर पुन: स्वभाव की ओर लौटने की, स्वयं से स्वयं के साक्षात्कार की। जीवन शांति है, सुव्यवस्था है, समाधि है। अज्ञात की यात्रा है। विभाव से स्वभाव में लौट आने की यात्रा है। समाधि समाधानों का केन्द्र है। अत: अपनी सक्रिय ऊर्जा और जीवनी शक्ति को उपयोगी दिशा प्रदान करें।

  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

More News »