एक बार यात्रियों से भरी बस कहीं जा रही थी। अचानक मौसम बदला और धूलभरी आंधी के बाद बारिश की बूंदें गिरने लगीं। जल्द ही बारिश तेज तूफान में बदल गई। भयंकर बिजली चमक रही थी। बिजली कड़क कर बस की तरफ आती और वापस चली जाती। ड्राइवर ने आखिरकार बस को एक बड़े से पेड़ से करीब 50 कदम की दूरी पर खड़ा कर दिया।
यात्रियों से कहा कि इस बस में कोई ऐसा यात्री बैठा है, जिसकी मौत आज निश्चित है। उसके साथ कहीं हमें भी अपनी जिंदगी से हाथ न धोना पड़े। इसलिए सभी यात्री एक-एक करके जाओ और उस पेड़ को हाथ लगाकर आओ। जो भी बदकिस्मत होगा, उस पर बिजली गिरेगी और बाकी सब बच जाएंगे। सबसे पहले जिसकी बारी थी, उसको दो-तीन यात्रियों ने जबर्दस्ती बस से उतारा।
ऐसे ही एक-एक करके सब जाते और भागकर आकर बस में चैन की सांस लेते। अंत में केवल एक आदमी बच गया। उसने सोचा, मौत तो आज निश्चित है। सब उसे अपराधी की तरह देख रहे थे। उसे भी जबर्दस्ती उतारा गया। वह भारी मन से पेड़ के पास पहुंचा और जैसे ही पेड़ पर हाथ लगाया। तेज आवाज से बिजली कड़की और बस पर गिर गई। बस जल गई। सब यात्री मर गए, सिर्फ एक को छोड़कर, जिसे सब बदकिस्मत मान रहे थे। वे नहीं जानते थे कि उसकी वजह से ही सबकी जान बची हुई थी।