होशंगाबाद। मध्यप्रदेश के होशांगाबाद में आयोजित पंचम अंतराष्ट्रीय नदी महोत्सव में विशेषज्ञों ने जोर दिया है कि पुरानी तकनीक ही लौटाएगी नदियों को सौंदर्य। यहां बांद्राभान में आयोजित पंचम अन्तराष्ट्रीय नदी महोत्सव के पहले दिन चार सामन्तर स्तर हुए। इसमें नदी किनारें की संस्कृति एवं समाज, नदी कृषि एवं आजीविका का परस्पर संबंध, नदी का अस्तित्व और जैव विविधता तथा सहायक नदियों का संरक्षण-नीतियां, नियम और संभावनाएं इन विषयों पर चर्चा हुई।
सत्र की अध्यक्षता डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी शोध संस्थान के निदेशक डॉ अनिर्बन गांगुली ने की। सत्र में विशेषज्ञों का मत था कि सहायक नदियों के संरक्षण के लिए एक समग्र नीति बनाई जाने की आवश्यकता है, तभी इस दिशा में सफलतापूर्वक कार्य किया जा सकता है। नदी का अस्तित्व और जैव विविधता विषय पर आधारित सत्र में आर श्रीनिवास मूर्ति, एसपी गौतम तथा अन्य विशेषज्ञों द्वारा विचार मंथन किया गया। वक्ताओं ने जोर दिया कि प्रकृति हमारा परिवार है यह बोध अगर बचपन से ही कराया जाए तो हमारी आने वाली पीढी प्रकृति को उपभोग की वस्तु ना समझकर उसकी सेवा के प्रति समर्पित रहेगी।
समानांतर सत्र नदी, कृषि एवं आजीविका का परस्पर संबंध विषय पर विशेषज्ञों ने एक स्वर से कहा कि हमारी नीति पर्यावरण व जल बचाने की है। हमारे पूर्वजों ने प्राचीन काल से नदियों एवं वृक्षों को जिस तकनीकी से बचाया है उसे तकनीकी को अब हमें वर्तमान में लागू करना होगा। देखना होगा कि पूर्वजो ने प्राचीन पद्धति अपना कर कृषि की थी अब हमें कृषि में परंपरागत खेती की ओर लौटना होगा। रासायनिक खाद का प्रयोग छोडना होगा और हमें जैविक खेती की ओर लौटना होगा। समानांतर सत्र में पर्यावरण विधि अशोक माथुर, मानंिसह, अजय झा एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री संजय पासवान ने अपने विचार रखे।