जबलपुर। कहते हैं प्यार अंधा होता है, प्यार शरीर की सुंदरता नहीं, बल्कि मन की सुंदरता को देखता है। प्यार की इस परिभाषा को सही साबित किया है जबलपुर के एक युवा डॉक्टर ने। डॉक्टर ने अपने प्यार को अंजाम देते हुए एक दिव्यांग युवती को अपना जीवनसाथी बनाया है। दोनो पैरों से दिव्यांग युवती को जब युवक ने अपने हाथों में उठाया तो देखने वालों ने इस जोड़े को प्यार की नई परिभाषा बताया।
इस जोड़े ने प्यार को एक नया नाम दिया। दूल्हे मियां अपनी दुल्हनिया को कोर्ट मैरिज के लिए कलेक्ट्रेट लेकर पहुंचे। वहां बैंड बाजा बारात तो नहीं थी, लेकिन जोड़े को तारीफ और आर्शीवाद देने वालों की कमी नहीं थी।
मां के इलाज के बहाने हुआ प्यार
ये कहानी एक डॉक्टर और मरीज से शुरू होती है। युवक का नाम समीरन बाला है, जो कोलकाता का निवासी है और पेशे से एक आयुर्वेदिक डॉक्टर है। समीरन एक साल पहले मीना पटेल के घर मीरा की मां का इलाज कराने पहुंचा था। इस दौरान समीरन ने मीना को देखा और पहली नजर में ही दिव्यांग मीना डॉक्टर को इतनी पसंद आयी कि उन्होंने मीना को जीवनसाथी बनाने का फैसला ले लिया।
इस शादी में टूटा जातिय बंधन
कुछ दिनों बाद मीना और समीरन ने शादी करने का फैसला किया। डॉक्टर समीरन बाला बंगाली ब्राह्मण हैं और मीना पटेल समाज से ताल्लुक रखती हैं। इस शादी के लिए डॉक्टर समीरन को अपने परिवार वालों को राजी करने में खासी मशक्कत करनी पड़ी। दोनों परिवारों के बीच कई बार बातचीत हुई, जिसके बाद वे जातिय बंधन से ऊपर उठकर समीरन और मीना की शादी कराने को तैयार हुए।
पोलियो की शिकार हैं दुल्हन
दुल्हन मीना ने बताया कि बचपन में ही वह पोलियो की शिकार हो गईं थीं, जिसके चलते उनके दोनों पैर काम नहीं करते हैं। उन्होंने बताया कि पहले तो घर वालों ने सामान्य लड़के से उसकी शादी करानी चाही पर बात नहीं बनी। बाद में कई दिव्यांग लड़के से भी शादी की बात चलाई गई, लेकिन अंजाम तक नहीं पहुंच पाया। पिछले दो-तीन साल से तो उसने मान लिया था कि अब उसकी शादी नहीं होगी।